शिमला, 03 अक्तूबर : हिमाचल में पत्थर दिल (stone heart) औरतों ने 18 दिन के भीतर दो नवजात (new born) बेटियों व तीन मासूम बच्चों को मौत की नींद सुला दिया। हर किसी का इन वारदातों को लेकर कलेजा पसीज गया था, मगर वो अपनी कोख से जन्म देने वाले बच्चों को मौत के आगोश में सुला देने वाली औरतें रत्ती भर भी नहीं पसीजी। अभी बिलासपुर से शनिवार को सामने आए मामले के रहस्य से पर्दा नहीं उठा है, मगर इतना तय है कि जीवित बच्चे को झाड़ियों में फैंकने के फैसले में कलयुगी मां भी शामिल रही होगी।
खौफ की तीन वारदातों की शुरूआत 14 सितंबर 2021 को चंबा के सलूणी इलाके से होती है। पड़ोसी के साथ मिलकर महिला पति सहित तीन नन्हें बच्चों को मौत की नींद सुलाने की स्क्रिप्ट (script) लिखती है। ये तो पुलिस की चौकसी थी कि अग्निकांड में चार की मौत को शक की नजर से देखा। चंद रोज पहले इस खौफनाक वारदात से पर्दा उठा तो हर कोई सिहर उठा, क्योंकि महिला के पति के साथ-साथ महज दो, चार व छह साल के मासूम बच्चों की मौत भी हो चुकी थी। दर्दनाक (painful) बात ये थी कि शव भी अधजली (half burnt) अवस्था में बरामद हुए थे। अगर पुलिस सावधानी न बरतती तो शायद इन मासूमों की मां को सजा नहीं मिलती।
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18 सितंबर 2021 को मंडी से एक सनसनीखेज खबर सामने आई थी। जुड़वां बहनों के शव खड्ड से बरामद हुए। हर कोई यही सोच रहा था कि शायद कोई बिन ब्याही मां (unmarried mother) बनी होगी, जिसने डिलीवरी के बाद मासूमों की मौत होने के बाद उनके शवों को फैंका है। मगर वारदात (crime) ने उस समय नया मोड़ ले लिया, जब सीसी फुटेज में ये बात सामने आई कि मां ने नवजात जुड़वां बेटियों को जिंदा ही खड्ड में फैंक दिया था। कांगड़ा की रहने वाली हत्यारिन मां पति के पास दो बेटियों को छोड़कर प्रेमी के पास चली गई थी। वहां दिल भरा तो ससुराल जाना चाहती थी। रास्ते में प्रेमी की बेटियों को मौत के घाट उतार दिया।
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2 अक्तूबर 2021 को समूचे देश में गांधी जयंती पर स्वच्छता को लेकर कार्यक्रम हो रहे थे। मगर बिलासपुर में एक नवजात शिशु को झाड़ियों में बरामद किया गया। बरामदगी के वक्त मासूम की सांसें चल रही थी। स्थानीय ग्रामीणों ने मानवता का परिचय देते हुए मासूम को अस्पताल पहुंचाने में देरी नहीं की। लेकिन कुछ घंटों बाद ही नवजात ने दम तोड़ दिया। शायद वो महसूस कर रहा होगा कि जब दुनिया में जन्म देने वाली मां ही निर्मोही हो गई तो वो जी कर क्या करेगा।
बेशक ही इस मामले से पर्दा उठना बाकी है, लेकिन ये हो ही नहीं सकता कि जन्म देने वाली मां की मर्जी के बगैर नवजात को मरने के लिए झाड़ियों में फैंक दिया गया हो। यह अलग बात है कि मां की असल भूमिका उसी सूरत में सामने आ पाएगी, जब पुलिस ऐसा अमानवीय कृत्य (inhuman act) करने वालों के गिरेबान तक पहुंचेगी।
हिमाचल में निर्मोही मां, झाड़ियों में जीवित फैंका नवजात बेटा…उपचार के दौरान तोड़ दिया दम
देवभूमि में मानवता को शर्मसार कर देने वाली इन वारदातों पर हर कोई स्तब्ध भी है तो आक्रोशित (angry) भी। ये तो न्यायपालिका ही तय करेगी कि ऐसे जघन्य अपराध (Heinous crime) को अंजाम देने वाली महिलाओं को क्या सजा दी जाए।