नाहन (रेणु कश्यप): मुख्य संसदीय सचिव विनय कुमार ने रेणुका हलके को प्रशासनिक तौर पर विकसित करने की तो ठान रखी है, लेकिन वह भूल रहे हैं कि राज्य की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील का सौंदर्य धीरे-धीरे विलुप्त हो रहा है। झील की तस्वीरें इस बात की तस्दीक कर रही हैं कि गाद हर पल बढ़ रही है। एक छोर तो गाद की भेंट चढ़ चुका है।
कई साल बीत चुके हैं, लेकिन कोई ऐसा ठोस कदम नहीं उठाया गया जिससे गाद को निकाल कर झील को पुराने स्वरूप में लाया जा सके। झील में बढ़ती गाद के लिए वन्यप्राणी विभाग व रेणुका विकास बोर्ड आमने-सामने रहते हैं। आलम यह हो चुका है कि गाद पर अब खरपतवार भी उगने लगी है। बोर्ड दलील देता रहा है कि इसकी जिम्मेदारी विभाग की है, जबकि विभाग कहता रहा है कि बोर्ड को कोई मकैनिज्म विकसित करना चाहिए।
भगवान परशुराम की जन्मस्थली श्री रेणुका जी इस बात के लिए सक्षम है कि इसे धार्मिक पर्यटन के अंतरराष्ट्रीय मैप पर लाया जाए। मगर धरातल पर नतीजे शून्य हैं। गौरतलब है कि रेणुका हलका सिरमौर में पहला ऐसा विधानसभा क्षेत्र बना है, जहां पर तीन तहसीलें बनी हैं। इसके अलावा हरिपुरधार को उप तहसील का दर्जा मिल चुका है। साथ ही संगड़ाह में उपमंडल कार्यालय भी काफी पहले ही खुल गया था।
यह सही है कि निर्वाचन क्षेत्र को तहसीलों की भी जरूरत है, लेकिन इस बात को भी नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए कि झील का सौंदर्य बरकरार रखना सर्वोच्च प्राथमिकता होना चाहिए। आलम यह हो चुका है कि गाद पर अब खरपतवार भी उगने लगी है।