कुल्लू, 30 अगस्त : मन में कुछ करने की लगन हो साथ ही इरादे पक्के हो तो मंजिल को हासिल किया जा सकता है। ऐसा कोई कार्य नहीं, जिसमें देश की बेटियों का डंका न बज रहा हो। हिमाचल के कुल्लू की बेटी गंगा ने लीक से हटकर कुछ कर दिखाया है। देवभूमि में शायद गंगा ऐसी पहली लड़की होगी, जो गाड़ियों की वर्कशॉप में मकैनिक का काम करती हो, यह गंगा की कोई मजबूरी नहीं, बल्कि मन में कुछ अलग करने की इच्छा थी। मेहनत इतनी कड़ी थी कि अब उसे अपनी जिंदगी का एक हिस्सा बना लिया है।
आनी उपमंडल के छोटे से गांव अर्था की रहने वाली गंगा ने देश की बेटियों के लिए एक अलग मिसाल पेश की है। स्थानीय पाठशाला से प्रारंभिक शिक्षा करने के बाद राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला आनी से 10वीं व 12वीं की पढ़ाई पूरी की। वही हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री लेने के बाद कुल्लू के आनी में मैकेनिक का काम शुरू कर दिया। एक साल तक गंगा ने कुल्लू की वर्कशॉप में रहकर काम सीखा। साथ- साथ हिंदी विषय में एमए भी कर ली।
गंगा ने एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क से बातचीत में बताया कि परिवार के साथ-साथ इस प्रोफेशन में कदम रखने में सबसे ज्यादा सहयोग दादी से मिला। उन्होंने हर मोड़ पर प्रोत्साहित किया और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। गंगा चाहती तो एमए के बाद अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए सरकारी नौकरी के लिए भी कोशिश कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
गंगा ने बताया कि बचपन से ही कुछ ऐसी ललक थी कि कुछ ऐसा कर दिखाओ जो एक मिसाल बन जाए और जो इससे पहले किसी ने नहीं किया हो। कुल्लू में शुरुआती परीक्षण लेने के बाद वो पंजाब के जालंधर के लिए रवाना हो गई ताकि एसयूवी लग्जरी कारों को दुरुस्त करने में एक्सपर्ट हो सके। यही कारण था कि दूरदराज के पहाड़ों से निकलकर वो जालंधर के महिंद्रा कार शोरूम रागा मोटर्स की वर्कशॉप में मैकेनिक का काम शुरू कर दिया। वर्कशॉप पर आने वाला हर शख्स गंगा के हुनर व जज्बे को सलाम करता है।

गंगा ने बताया कि वह अपने शोरूम में भी मैकेनिक का काम करने वाली अकेली लड़की है। गंगा वर्कशॉप में एसयूवी और देश भर में ऑफरोडिंग के लिए अपनी अलग-अलग पहचान बनाने वाली थार समेत महिंद्रा के तमाम वाहनों को दुरुस्त करती है। गंगा ने खास बातचीत में ये भी बताया कि वर्कशॉप में काम करने वाले उनके साथियों व मैनेजमेंट से सहयोग मिला कि उन्हें इस प्रोफेशन में खुद को स्थापित करने का उनका प्लेटफार्म मिल गया।
वर्तमान में भी गंगा जालंधर में ही रह रही है और खुद को पंजाबी संस्कृति में भी पूरी तरह ढाल चुकी है। दिनभर वर्कशॉप में भारी-भरकम इंजन दुरुस्त करने के बाद गंगा घर आकर अपने सभी कामों को भी खुद करती है, क्योंकि वह जालंधर में अकेली ही रहती है।