सोलन, 16 अगस्त : देश भर में अब गन्ने के भूस पर मशरूम (Mushroom) की खेती होगी। इस से पूर्व गेहूं के भूस से मशरूम की खेती की जाती थी। देश के एकमात्र खुम्ब अनुसंधान केंद्र (Mushroom research center) चम्बाघाट के वैज्ञानिकों (Scientists) ने तीन वर्ष के कड़े शोध के बाद गन्ने के भूस(Sugar Cane Straw) से खाद तैयार कर मशरूम का उत्पादन (Cultivation) किया है।
अहम बात ये है कि गेंहू की तुलना में गन्ने के भूस की कम्पोस्ट(compost) के इस्तेमाल का प्रभाव पैदावार पर भी पड़ा है। वैज्ञानिकों की माने तो आठ गुणा अधिक पैदावार हासिल की जा सकती है।
लिहाजा खुम्ब अनुसंधान केन्द्र चम्बाघाट के वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई है। अनुसंधान के वैज्ञानिकों ने गन्ने के भूसे में मशरूम का सफल उत्पादन किया है। इससे भूस (Straw) की कमी तो दूर होगी ही, वहीं दूसरी तरफ देश के गन्ना बाहुल्य राज्यों में किसान कम लागत में बटन मशरूम उगा सकेंगे। गन्ने का भूस बेहद कम दाम में मिलता है, वहीं गेहूं का भूस महंगा मिलता है। इसका असर मशरूम की कंपोस्ट की कीमत पर भी पड़ता था। किसानो को सस्ती कम्पोस्ट मिलेगी इसका असर उनकी आमदनी (Income) पर भी होगा।
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एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क से बातचीत में खुम्भ अनुसंधान केन्द्र चम्बाघाट के निदेशक(Director) डॉ वी पी शर्मा ने बताया कि अब देशभर(Country wide) के किसान गन्ने के भूस पर भी मशरूम उगा सकते है। गेहूं के भूस के मुकाबले इसमें आठ गुणा अधिक पैदावार हुई है। उन्होंने कहा कि इस से किसानों की आमदनी बढ़ेगी। वहीं दिल (Heart) की बीमारी के लिए भी रामबाण है साथ ही मधुमेह व मोटापे के लिए भी यह मशरूम लाभकारी होगी।
बता दे कि केंद्र ने कुछ समय पहले गुच्छी को उगाने में भी सफलता हासिल की थी। दुनिया में सबसे महंगी सब्जी के तौर पर पहचानी जाती है। कृत्रिम माहौल में इसे उगाना दुनिया भर में एक चुनौती रहा है।