शिमला, 13 अगस्त : भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में हिमाचल सरकार के कई महकमों में बेवजह खर्चों पर सवाल उठाए हैं। कैग की रिपोर्ट में कुछ विभागों में गबन का भी खुलासा किया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मानसून सत्र के अंतिम दिन कैग की रिपोर्ट को सदन में प्रस्तुत किया। मार्च 2019 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष की समाप्ति को लेकर प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के मुताबिक पशुपालन विभाग में सरकारी प्राप्तियों व लाभार्थी अंश को न तो रोकड़-बही में लेखांकित किया गया है और न ही सरकारी खाते में जमा किया गया है।
कैग की रिपोर्ट में पशुपालन विभाग में 99.71 लाख के गबन का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में निधियों के गबन का भी खुलासा किया गया है। कैग की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल विवि के प्राधिकारियों द्वारा पंजिकाओं व अभिलेखों में प्राप्तियों की बैंक विवरण में प्रदर्शित प्राप्तियों के साथ तुलना के लिए सामयिक मिलान ओर आवश्यक जांच करने में विफलता के कारण 1.13 करोड़ का गबन हुआ।
कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पवन हंस कंपनी के हैलीकाप्टर को किराए पर लेने में भी बेवजह खर्च हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षा उपायों के मद्देनजर पवन हंस कंपनी के हैली कॉप्टर की स्थिति संतोष जनक नहीं पाए जाने के बावजूद सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके ठेके को ठेका राशि में सालाना दस फीसद के इजाफे के साथ बढ़ा दिया।
तकनीकी बोली में दूसरी कंपनियों को इसमें शामिल होने का मौका नहीं मिला। नतीजतन सरकार का 18.39 करोड़ रुपए बेवजह खर्च हुआ। कंपनी को सरकार प्रति उड़ान के घंटा के हिसाब से भुगतान करती है। मगर अनुबंध की शर्तों से अधिक उड़ान की अवधि को प्रति वर्ष के हिसाब से समायोजित करने की वजह से करीब 6.97 करोड़ का अतिरिक्त खर्च खजाने से हुआ।
कैग ने शिक्षा विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए स्कूल वर्दी के कपड़े की जांच में एक प्रयोगशाला को काम देने को लेकर सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार स्कूल वर्दी के कपड़े की जांच का कार्य सार्वजनिक खरीद में मितव्ययता व वितीय ओैचित्य के सिद्वातों व वितीय नियमों का उल्लंघन करते हुए सीधे एक प्रेयोगशाला को सौंपा गया, जिससे 1.62 करोड़ बेवजह खर्च हुए और प्रयोगशालाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।