सोलन, 12 अगस्त : कोरोना की तीसरी संभावित लहर का खतरा सिर पर बना हुआ है। उस से ठीक पूर्व जिन नर्सों के जिम्मे कोरोना से बचाव की जिम्मेदारी है वही स्टाफ नर्स प्रदेश सरकार के खिलाफ मुखर हो गई है।
दरअसल मामला जिला सोलन मुख्यालय के मेकशिफ्ट कोविड अस्पताल का है, जहां पर कार्यरत तक़रीबन 60 नर्सों ने समय पर मेहनताना न मिलने व अन्य लाभ न मिलने के विरोध में मेकशिफ्ट अस्पताल रबौन में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इसके अलावा अन्य स्टाफ ने भी सरकार के खिलाफ हल्ला बोला। स्ट्राइक के कारण की वैक्सीनेशन ड्राइव भी प्रभावित हुई है। ये सभी नर्से वैक्सीनेशन ड्राइव पर जानी थी, जो कि अब अपनी मांगे पूरी न होने तक स्ट्राइक पर चली गई है। जिससे सरकार प्रशासन के दावे हवा-हवाई हो गए। इस मामले में सबसे बड़ी बात कि यह स्थिति प्रदेश के स्वास्थय मंत्री के गृह जिला में देखने को मिली है।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार कोविड ड्यूटी में लगे स्टाफ को कोरोना वाॅरियर कहती है, लेकिन सोलन में इन कोरोना वाॅरियर को समय पर मेहनताना तक नही मिल रहा है।अस्पताल के स्टाफ ने बताया कि न तो उन्हे समय पर मेहनताना मिल रहा है व न ही अन्य सुविधाएं। उन्होंने कहा कि जब यहां उन्हें निजी कम्पनी द्वारा आउटसोर्स पर रखा गया था तो कम्पनी ने जो मेहनताना तय किया था वह उन्हे नहीं मिल रहा है। वहीं उन्हें ज्वाइनिंग लेटर भी लिखित में नहीं दिये गये है। सिर्फ व्हाट्सएप पर खानापूर्ति की गई है। उन्होंने सरकार व प्रशासन से उनकी मांगे पूरी करने की मांग की है।
वहीं जब जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मुक्ता रस्तोगी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने संबंधित कंपनी से बात की है कि उन्हें समय पर सैलरी मिलनी चाहिए। निश्चित तौर पर जिला प्रशासन सोलन व सरकार भले ही तीसरी लहर की संपूर्ण तैयारियों का ढोल पीट रहे हो लेकिन हकीकत यह है कि व्यवस्था चरमाई हुई है।