रिकांगपिओ, 12 अगस्त : भयंकर भूस्खलन की त्रासदी को वीरवार दोपहर 26 घंटे हो गए हैं। बीतते समय के साथ ही टूटते पहाड़ों के बीच जीवन की डोर भी टूट रही है। मलबे में लोगों के जीवित होने की उम्मीद घटती जा रही है। जान हथेली पर रखकर अर्द्धसैनिक बल के जवान स्थानीय प्रशासन के मददगार बन रहे हैं। दोपहर के वक्त भी पहाड़ों से पत्थर टूटने शुरू हुए तो मलबे में दबी हिमाचल पथ परिवहन निगम की बस को खाई में तलाश रहे जवानों को रेस्क्यू ऑपरेशन कुछ समय के लिए रोकना भी पड़ा।
दीगर है कि हादसे के बाद 9 घंटे के भीतर 10 शवों को बरामद कर लिया गया था, जबकि 5 शव आज बरामद हुए हैं। रेस्क्यू होने वालों का आंकड़ा 13 ही है। बीती रात आधिकारिक तौर पर 9 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन को रोक भी दिया गया था, जिसे वीरवार सुबह होते ही दोबारा युद्धस्तर पर शुरू कर दिया गया। पांच ऐसे शव मिले, जिनके शरीर के पूरे अंग नहीं थे। क्षत-विक्षिप्त अवस्था में शव मिलने का दृश्य बेहद ही हृदय विदारक था। अब तक पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी दो कारों को बरामद किया जा चुका है। इसके अलावा बोलेरो का कोई सुराग नहीं मिल रहा। उसके यात्री भी लापता है। आशंका है कि बोलेरो मलबे के नीचे दबी हुई है।
उल्लेखनीय है कि टाटा सूमो को बुधवार को ही बरामद कर लिया गया था, इसमें सवार सभी 8 यात्रियों की मौत हो गई थी। भूस्खलन की चपेट में आया एक ट्रक भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है, इसके चालक का शव भी बरामद कर लिया गया है। सतलुज के किनारे लापता लोगों की तलाश की जा रही है, क्योंकि ये भी संभावना है कि मलबे के साथ लापता लोग नदी की तरफ चले गए होंगे। दीगर है कि वीरवार सुबह सवा 8 बजे के आसपास हिमाचल पथ परिवहन निगम की बस को भी ट्रेस कर लिया गया था। बस के बिखरे अवशेष इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि यात्रियों की जीवित बचने की उम्मीद काफी कम है। यह अलग बात है कि कुदरत के करिश्मे से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
वीरवार सुबह एनडीआरएफ नूरपुर के 31 जवान भी रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल हुए हैं। दोपहर तक की जानकारी के मुताबिक एनडीआरएफ के 56 जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हुए हैं। उधर, प्रदेश के मुख्यमंत्री भी राहत कार्यों का जायजा लेने के लिए वीरवार को किन्नौर पहुंचे। इस दौरान सीएम ने सर्च ऑपरेशन में गति लाने के लिए हर मदद मुहैया करवाने का आश्वासन दिया। साथ ही मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख के मुआवजे की भी घोषणा की है।
कुल मिलाकर ऐसा भी जाहिर हो रहा है कि रेस्क्यू ऑपरेशन आज भी समाप्त नहीं होगा। इसकी बड़ी वजह यही है कि भूस्खलन की आशंका जस की तस बनी हुई है, ऐसे में मामूली सी चूक रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे जवानों के लिए भी जोखिम भरी हो सकती है। उधर, किन्नौर के एसपी एसआर राणा ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से कहा कि अब तक 13 ही शवों को पोस्टमार्टम के लिए भाबानगर भेजा गया है।