नाहन, 7 अगस्त : देश की दूसरी सबसे पुरानी नगर परिषद नाहन में महज 24 साल के युवक संजय कुमार तोमर ने बतौर कार्यकारी अधिकारी (Executive Officer) कार्यभार संभाल लिया है। ऐसा, माना जा रहा है कि वो पुरानी नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारियों की फेहरिस्त में सबसे युवा हो सकते हैं। इसके अलावा राज्य के शहरी निकायों में भी सबसे युवा कार्यकारी अधिकारी होंगे। हालांकि इससे पहले वो नालागढ़ में बतौर ईओ अपनी पहली पारी फरवरी में शुरू कर चुके थे। ये दूसरी पारी बतौर ईओ है।
खास बात ये है कि मूलतः सिरमौर के ही रहने वाले हैं। पांवटा साहिब के डाडा गांव में जन्में हैं। युवा अधिकारी ने हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली म्युनिसिपल सर्विसिज की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। ये अल्टीमेट गोल नहीं है। एचएएस की परीक्षा में लगातार दो बार साक्षात्कार में असफल रहे, लेकिन हौंसला नहीं टूटा है। तीसरा प्रयास भी करने जा रहे हैं। पुलिस विभाग में सेवारत पिता का निधन गत वर्ष हो गया था। मां उर्मिल देवी एक गृहणी हैं, जबकि बहन प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं की तैयारी में जुटी हुई है। वहीं भाई अनुज तोमर इस समय वन विभाग के रेंजर के तौर पर कार्यरत हैं।
उल्लेखनीय है कि नाहन नगर परिषद को डेढ़ माह से ईओ का इंतजार था। बीते कल ही संजय कुमार तोमर ने कार्यभार संभाला है। वो बखूबी जानते हैं कि शहर को दोबारा नगीना बनाना कठिन है, मगर असंभव नहीं। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में युवा अधिकारी ने कहा कि 15 अगस्त तक स्वच्छता को लेकर कुछ नतीजे सामने आने की उम्मीद है। कार्य संभालते ही एड़ी-चोटी का जोर लगाना शुरू कर दिया है। शनिवार का पूरा दिन इसी की रूपरेखा में व्यतीत हुआ।
ये चुनौतियां…
हालांकि, शहर की समस्याएं बहुत हैं, लेकिन मुख्य तौर पर बात की जाए तो स्वच्छता पहली बात है। इसके बाद शहर में नगर परिषद की सड़कों पर दोनों तरफ मुफ्त में वाहनों की पार्किंग दूसरा मसला है। बढ़ते ट्रैफिक के कारण राहगीरों का चलना मुश्किल हो चुका है। अगर उस जगह पर फुटपाथ बना दिए जाएं, जहां अवैध तरीके से गाड़ियां पार्क की जाती हैं तो एक तीर से दो निशाने लग सकते हैं। अवैध पार्किंग हटेगी, वहीं राहगीर भी सुरक्षित होंगे।
एक वक्त था, जब नाहन शहर को नगीना कहा जाता था, लेकिन पिछले डेढ़ दशक में गंदगी ने शहर के पुराने वैभव को ग्रहण लगा दिया है। तीसरा मसला, आवारा पशुओं से जुड़ा हुआ है। बंदरों की समस्या भी अब बढती जा रही है। इसके लिए वन विभाग से समन्वय स्थापित करना भी जरूरी है। खैर उम्मीद की जानी चाहिए कि युवा जोश कुछ न कुछ सकारात्मक नतीजे सामने लेकर आएगा। उल्लेखनीय है कि नगर परिषद को कनिष्ठ अभियंता के तौर पर भी यंग इंजीनियर मिला है।