शिमला, 03 अगस्त : हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में मंगलवार को विपक्षी दल कांग्रेस ने भाजपा सांसद रामस्वरूप शर्मा की संदिग्ध मौत के मामले पर हंगामा खड़ा किया और स्थगन प्रस्ताव मंजूर नहीं होने पर विरोध स्वरूप सदन से वॉकआउट किया। विधानसभा के दूसरे दिन की कार्रवाई आरंभ होते ही विपक्षी के सदस्य सांसद रामस्वरूप शर्मा की मृत्यू का मसला उठाने लगे। कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी, सुंदर सिंह ठाकुर और नंद लाल नियम-67 के तहत दिए गए स्थगन प्रस्ताव के बारे में पूछने लगे, मगर विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने नियमों का हवाला देते हुए स्थगन प्रस्ताव को नकार दिया।
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज का कहना था कि विपक्ष नियमों को ताक में रखकर सदन में कोई विषय नहीं उठा सकता। उन्होंने कहा कि पिछले बजट सत्र में भी इस मामले पर सदन में चर्चा हो चुकी है। सांसद की मौत मामले की दिल्ली पुलिस जांच कर रही है और जब जांच पूरी होगी तो विपक्ष को अवगत करवा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये नियम-67 का मुद्दा नहीं है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि रामस्वरूप शर्मा चुने हुए सांसद थे और उनकी मृत्यु से सभी आहत हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने भाजपा संगठन में वर्षों तक रामस्वरूप शर्मा के साथ काम किया है तथा उनकी मौत की खबर ने उन्हें बहुत विचलित किया है। उन्होंने कहा कि रामस्वरूप शर्मा की मृत्यु इसी साल 17 मार्च को दिल्ली में हुई थी, जो हमारे अधीन क्षेत्र का विषय नहीं है। इस मामले में दिल्ली में एफआईआर दर्ज हुई और दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच मामले की जांच कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रामस्वरूप शर्मा की मृत्यु को लेकर उनके बेटे के अखबार में छपे बयान का विपक्ष जिक्र कर रहा है। उनके बेटे का बयान है कि रामस्वरूप शर्मा आत्महत्या नहीं कर सकते थे। जयराम ठाकुर ने कहा कि वो व्यक्तिगत रूप से रामस्वरूप शर्मा के परिवार से भी मिले हैं और परिवार को कहा है कि इस विषय पर कोई भी बात रखनी है तो मीडिया की बजाय हमारे साथ बात करें।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सांसद के परिवार ने इस मामले की किसी विशेष जांच एजेंसी से जांच करवाने की इच्छा नहीं जताई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली पुलिस को जल्द से जल्द जांच पूरी करने को कहा गया है तथा हमें दिल्ली पुलिस की जांच को प्रभावित नहीं करना चाहिए।