मंडी (वी कुमार) : आज हम आपको स्वच्छ भारत अभियान के तहत मॉडल के रूप में बनाए गए स्वच्छता पार्क की हकीकत से रूबरू करवाएंगे। इस स्वच्छता पार्क को बनाया तो मॉडल के रूप में गया है, लेकिन ऐसे मॉडल जहां पर होंगे वहां के इलाकों की स्वच्छता कैसी होगी, इसका अंदाजा आप खुद ही लगा लीजिए। देखिए और फिर आंकलन कीजिए कि स्वच्छता के नाम पर खर्च हो रहे पैसों का क्या हाल हो रहा है।
स्वच्छता के नाम इन दिनों देश भर में अरबों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन खर्चे जा रहे पैसों से होने वाले कार्यों की सही ढंग से देखरेख हो भी रही है या फिर पैसा यूं ही खर्च किया जा रहा है? यह ऐसा सवाल है जिसका शायद कोई जबाव देना ही नहीं चाहता। मंडी में स्वच्छता के नाम पर पैसों की बर्बादी का एक जीता जागता स्मारक बना दिया गया है। नाम दिया गया है, ग्रामीण स्वच्छता पार्क।
इस पार्क का निर्माण जिला ग्रामीण विकास अभिकरण यानी डीआरडीए के सौजन्य से करवाया गया है। पार्क में रास्तों, शौचालयों, पानी की टंकियों और बैठने के स्थानों के मॉडल प्रदर्शित किये गये हैं और इसके माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है कि गांवों में इस प्रकार के रास्ते और शौचालय होने चाहिए। लेकिन क्या इस पार्क को देखकर आप अपने घर गांव में ऐसा मॉडल अपनाना चाहेंगे, शायद नहीं।
मंडी शहर के साथ लगते भ्यूली में जहां पर खंड विकास अधिकारी, जिला पंचायत अधिकारी और जिला परिषद अध्यक्ष का कार्यालय है, यह पार्क भी इन्हीं कार्यालयों के प्रांगण में बनाया गया है। ग्रामीण स्वच्छता पार्क के गेट पर तारनुमा फाटक लगाकर एंट्री बंद कर दी गई है और इसे बाहर से ही निहारने की इजाजत है। अंदर कोई जाए भी कैसे, चारों ओर लंबी-लंबी घास उगी हुई है और उसे काटने वाला कोई नहीं। और तो और मॉडल के रूप में दर्शाई गई वस्तुओं पर भी घास का साम्राज्य कायम हो चुका है फिर भी इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
अब इसे पैसों की बर्बादी न कहकर कुछ और कहा जाए, तो फिर आप खुद ही तय कर लिजिए कि ऐसे स्थानों को क्या नाम दिया जाना चाहिए। इस बारे में हमने जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के उपनिदेशक डॉ. संजीव धीमान से भी बात की। उनका कहना है कि ग्रामीण स्वच्छता पार्क के रखरखाव के लिये सरकार की तरफ से पैसों का कोई प्रावधान नहीं किया जाता और इनकी साफ सफाई व रखरखाव आपसी सहयोग से ही किया जाता है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द की ग्रामीण स्वच्छता पार्क पर सफाई अभियान चलाकर इसे दुरूस्त कर दिया जाएगा।
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर सरकार को ग्रामीण स्वच्छता पार्कों के माध्यम से सफाई का मॉडल पेश करना है तो फिर इनकी देखरेख के लिए धन का प्रावधान क्यों नहीं किया जाता। सरकार और विभाग को इस पर गहनता से मंथन करना होगा कि सिर्फ एक बार किसी चीज के बना देने से दायित्व पूरा नहीं हो जाता उसका रखरखाव भी जरूरी होता है।