शिमला, 3 जुलाई : राजधानी के उपनगर टूटू के अमर प्रकाश ने देहदान कर समाज के लिए एक मिसाल पेश की है। पिछले कल 3 जुलाई को अमर प्रकाश का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। अमर प्रकाश की इच्छा पर उनके बेटे अश्वनी कुमार और परिजनों ने मृत शरीर आईजीएमसी अस्पताल को दान किया। उनकी प्राकृतिक मृत्यु हुई है। अमर प्रकाश भारतीय रेलवे से सेवानिवृत्त हुए थे। अमर प्रकाश ने 11 वर्ष पहले 7 अगस्त 2010 को देहदान के लिए आईजीएमसी में पंजीकरण करवाया था।
आईजीएमसी को अब तक सात व्यक्ति देहदान कर चुके हैं। आईजीएमसी को देहदान के रूप में पहला डोनर सिरमौर से मिला था। सिरमौर के भंगारी गांव के रहने वाले बलदेव वर्मा मृत्यु उपरांत देहदान करने वाले पहले व्यक्ति रहे हैं। उनके बाद सोलन के कुमारहट्टी निवासी जिया लाल पटियाल ने देहदान किया था। आईजीएमसी की देहदान समिति के पास अब तक 398 लोग देहदान के लिए पंजीकरण करवा चुके हैं। देहदान समिति का पंजीकरण
देहदान समिति का पंजीकरण एचपी सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 2006 के तहत 31 अक्टूबर 2008 को हुआ था। देहदान के बाद मृत शरीर प्रत्यारोपण के साथ मेडिकल शिक्षा के लिए भी सहायक रहता है।
दरअसल ब्रेन डेड होने के बाद मुख्य प्रत्यारोपण में दिल, किडनी, आंखें, त्वचा, वाल्व को दान देकर ट्रांसप्लांट भी किया जा सकता है। इसके अलावा जिस वाहन में देह को लाया जाएगा उसके परिवहन का 5 हज़ार रुपये का खर्च भी समिति वहन करती है।