नाहन: श्रीमदभागवत कथा के अंतिम दिन नाहन की वादियां भक्तिमय हो उठी। श्री राधे-राधे व श्री कृष्ण के जयकारों के साथ श्रोता भजनों पर खूब झूमंे। अंतरराष्ट्रीय कथावाचक देवकी नंदन जी महाराज ने कथा के अंतिम दिन श्री कृष्ण व सुदामा के बीच मित्रता का सुंदर बखान किया। देवकी नंदन जी महाराज ने कहा कि मित्रता हो तो कृष्ण व सुदामा जैसी। उन्होनें आज की मित्रता पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अब मित्रता के भाव बदल गए है। उन्होनें कहा कि प्यार व मैत्री करनी हो तो उस परम प्रभु से करो। जिससे प्यार व मैत्री संबध बनाकर परम आनंद की प्राप्ति तो होगी ही, साथ में मनुष्य मोक्ष को भी प्राप्त होगा। उन्होनें कहा कि मनुष्य को कर्म करना आवश्यक है। कर्म कैसा हो यह मनुष्य स्वंय करेगा। जैसा कर्म होगा। भगवान उस कर्म की मनुष्य को वैसा फल देगा। उन्होनें कहा कि मनुष्य को भगवान जीवन में तीन अवसर देते है। जिस व्यक्ति ने इस अवसरों को समझ लिया वह तर जाएगा। मगर जो इन अवसरों का अनुभव नहीं करेगा उसका जीवन कभी भी पार नहीं लग पाएगा।
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