नाहन, 10 मार्च : वैश्विक महामारी में उत्कृष्ट कार्यों के लिए धगेड़ा खंड की बीएमओ डाॅ. मनीषा अग्रवाल का चयन महिला दिवस के मौके पर राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए हुआ था। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के महिला एवं बाल विकास निदेशालय द्वारा 8 मार्च को कार्यक्रम का आयोजन पीटरहाॅफ में किया गया था। मगर डाॅ. मनीषा इस पुरस्कार को रिसीव करने शिमला नहीं गई।
पशुपालन विभाग की उपनिदेशक डाॅ. नीरू शबनम ने उनकी तरफ से इस पुरस्कार को रिसीव किया। एमबीएम न्यूज नेटवर्क को ये पता चला कि राज्य स्तरीय पुरस्कार लेने के लिए शिमला न जाने की वजह ये थी कि कहीं उनका वैक्सीनेशन व सैंपलिंग को लेकर चल रहा अभियान बाधित न हो जाए।
प्रदेश स्तर पर जहां डाॅ. मनीषा अग्रवाल का नाम पुकारा जा रहा था, वहीं वो खुद व्यक्तिगत तौर पर उसी दिन अपनी डयूटी कर रही थी। चार वैक्सीनेशन केंद्रों पर अपने दायित्व को निभाया। वैश्विक महामारी के दौरान डाॅ. मनीषा अग्रवाल अपने दायित्व को बखूबी निभाती रही। इस बात की कतई भी लालसा नहीं कि उन्हें इसके लिए कोई पुरस्कार या फिर सम्मान मिलेगा।
प्रशासन को जब ये पता चला कि डाॅ. मनीषा अग्रवाल ने शिमला में पुरस्कार रिसीव नहीं किया है तो उन्हें 8 व 9 मार्च को चौगान मैदान में आयोजित कार्यक्रम के समापन पर ये सम्मान प्रदान करने का निर्णय लिया गया। उपायुक्त डाॅ. आरके परुथी ने खंड स्वास्थ्य अधिकारी को राज्य स्तरीय पुरस्कार समारोह में सौंपा।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने डाॅ. मनीषा अग्रवाल से राज्य स्तरीय पुरस्कार लेने के लिए शिमला न जाने की वजह पूछी तो बोली, एक दिन पूरा लगता। इससे कई कार्य प्रभावित हो सकते थे। डयूटी के साथ-साथ कई घरेलू जिम्मेदारियां भी होती हैं। उन्होंने कहा कि वो राज्य सरकार का पुरस्कार प्रदान करने पर तह दिल से शुक्रिया अदा करती हैं।
बता दें कि डाॅ. मनीषा अग्रवाल की सेवाओं के दौरान स्वास्थ्य विभाग के धगेड़ा खंड में लगभग 35 हजार से अधिक सैंपलिंग हो चुकी है। साथ ही कोरोना के टीके को लेकर भी सौ फीसदी लक्ष्य हासिल करवाने को लेकर कमर कसी हुई है।