शिमला, 05 मार्च : हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विभागों में पूर्व सैनिकों के 2079 पद रिक्त हैं। इन्हें भरने की प्रक्रिया जारी है। जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि भूतपूर्व सैनिक न मिलने की स्थिति में उनके आश्रितों को भी नौकरी देने का प्रावधान है। यह बात उन्होंने बुधवार को विधानसभा में प्रश्रकाल के दौरान भटियात के विधायक बिक्रम सिंह जरयाल के सवाल के जवाब में कही।
उन्होंने बताया कि सबसे अधिक पद प्रारंभिक शिक्षा विभाग में खाली है। यहां पर 769 पद पूर्व सैनिकों के कोटे के खाली हैं। इसी तरह उच्च शिक्षा विभाग में 122, गृह विभाग में 81, आयुर्वेदिक विभाग में 46, राजस्व विभाग में 29, स्वास्थ्य विभाग में 131, उद्योग विभाग में 14, बिजली बोर्ड में 137, जल शक्ति विभाग में 41 व सचिवालय में 29 पद रिक्त हैं।
उन्होंने बताया कि भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित पदों के लिए उपयुक्त उ मीदवार यदि नहीं मिले तो 2 साल तक पदों के लिए साक्षात्कार बुलाए जाते हैं। यदि उपयुक्त उ मीदवार न मिले तो फिर एक साल और प्रतिक्षा कर साक्षात्कार के लिए समय दिया जाता है। इसके बाद उपयुक्त उ मीदवार नहीं मिलने पर पूर्व सैनिकों के आश्रितों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। उपयुक्त उमीदवार के लिए 2 साल का इंतजार किया जाता है। इसके बाद और एक साल का समय और दिया जाता है। इसके बाद भी यदि उपयुक्त उ मीदवार न मिले को इन रिक्तियों को सामान्य वर्ग के कोटे में डाल दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों के आश्रितों के लिए 15 फ ीसदी पद विभिन्न विभागों में सृजित हैं। इनमें सेना से रिटायर होने वाले जवानों को नियुक्ति मिलती है और उनकी योग्यता के मुताबिक पद मिलते हैं।
भाजपा सदस्य विक्रम जरियाल ने सवाल किया था कि विभिन्न विभागों में पूर्व सैनिकों के आश्रितों के कितने पद खाली हैं और उनकी क्या स्थिति है। वहीं कर्नल इंद्र सिंह ने अनुपूरक सवाल किया था कि कितने उप निदेशक के पद सृजित है और कितने पद खाली हैं।
उन्होंने प्लेसमेंट को लेकर भी सवाल किया था। इस पर महेंद्र सिंह ने कहा कि छह जिलों में उपनिदेशक के पद खाली हैं और इन पदों को भरने को केबिनेट से मंजूरी मिल गई है और इन पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
उन्होंने विधायक कर्नल इंद्र ङ्क्षसह की तरफ से पूछे गए अनुपूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि सरकार भूतपूर्व सैनिकों को घर के नजदीक नौकरी देने पर विचार करेगी, क्योंकि सेना में रहते हुए उनका अधिकतर समय घर से बाहर बीतता है।