नाहन, 20 फरवरी : स्थापना के 400 साल मना रहे ऐतिहासिक नाहन शहर की “महिमा लाइब्रेरी” एक अनमोल धरोहर है। 91 साल बाद भी युवा पीढ़ी इस पुस्तकालय में अपना भविष्य संवारने में जुटी हुई है।
आप यह जानकर हैरान होंगे कि पुस्तकालय में सीट हासिल करने के लिए सुबह ही युवाओं की लंबी कतार लग जाती है। शायद जब 1930 में सिरमौर रियासत के तत्कालीन शासक अमर प्रकाश की महारानी मदालसा कुमारी देवी ने अपनी बेटी राजकुमारी महिमा की याद में इस पुस्तकालय की स्थापना की होगी तब ये नहीं सोचा होगा कि एक वक्त ऐसा भी आएगा जब पुस्तकालय में बैठने के लिए युवाओं को लाइन लगानी पड़ेगी।
शासक अमर प्रकाश की बेटी राजकुमारी महिमा की अल्प मृत्यु मात्र 12 साल की उम्र में हो गई थी। 1929 में निधन के बाद शासक की महारानी ने बेटी की स्मृति में इस पुस्तकालय को बनाने का फैसला लिया था। इतिहास के मुताबिक शासक अमर प्रकाश का विवाह 4 मार्च 1910 में नेपाल के महाराज शमशेर सिंह की बेटी के साथ हुआ था, इन्हीं से राजकुमारी महिमा का जन्म हुआ था।
हिमाचल में सबसे पहले 1930 में सिरमौर में ही महिमा लाइब्रेरी की स्थापना हुई थी। सिरमौर के अंतिम शासक राजेंद्र प्रकाश की राजकुमारी महिमा छोटी बहन थी।
1958 में इस पुस्तकालय को शिक्षा विभाग के सुपुर्द कर दिया गया था, इसे जिला पुस्तकालय का दर्जा हासिल हुआ था। पुस्तकालय में रियासत काल से जुड़ी अंग्रेजी की 42 00, हिंदी की 4800, संस्कृत की 800, अन्य विविध की 500 पुस्तकें मौजूद हैं। इसके अलावा 15 पांडुलिपि अभी सुरक्षित है।
हालांकि इसके बाद 1946 में महाराज दुर्गा सिंह ने भी सोलन में पुस्तकालय की स्थापना की थी। 91 साल पुरानी महिमा लाइब्रेरी में आज भी कई दुर्लभ पुस्तकें उपलब्ध है। पिछले एक दशक में बढ़ती डिमांड की वजह से शिक्षा विभाग ने महिमा पुस्तकालय का विस्तार भी किया है।