शिमला, 18 फरवरी : कोरोना के मामलों में भारी कमी आने पर शिमला जिला के मंदिरों में अब पहले की तरह चहल-पहल नजर आएगी। मंदिरों में 11 महीने बाद लंगर और भंडारे लगाने की अनुमति मिली है। इसके अलावा मंदिरों में लोग विवाह, मुंडन समारोह भी धार्मिक परिसरों में किए जा सकेंगे। श्रद्धालु दर्शनों के लिए विभिन्न मंदिरों व धार्मिक स्थलों के गर्भ गृह में भी जा सकेंगे। सरायं तथा धार्मिक स्थलों में रात्रि ठहराव भी किया जा सकता है। शिमला जिला प्रशासन ने गुरूवार को इस संबंध में आदेश जारी किया है।
गौर हो कि कोरोना लाकडाउन से पहले 17 मार्च 2020 को शिमला प्रशासन ने मंदिरों में धार्मिक आयोजनों व भंडारों के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया था। राजधानी के तारा देवी, संकटमोचन, ढींगू माता इत्यादि मंदिरों में हर रविवार के अलावा नवरात्रों पर रोजाना भंडारों का आयोजन होता है। जिला दण्डाधिकारी आदित्य नेगी द्वारा जारी ताजा आदेशों के तहत जिला भर में अब मंदिरों में भंडारों और लंगरों का आयोजन किया जा सकेगा। श्रद्धालुओं को धार्मिक स्थलों अथवा मंदिरों में दर्शन, पूजा, भजन करने की अनुमति रहेगी। आदित्य नेगी ने बताया कि स्थानीय स्थितियों व जगह की उपलब्धता को देखते हुए गर्भ गृह में श्रद्धालुओं को दर्शनों को भेजने के लिए संख्या स्थानीय मंदिर न्यासियों या अधिकारियों द्वारा निर्धारित की जाएगी।
उन्होंने कहा कि मंदिर अथवा धार्मिक स्थलों में हवन पूर्व की भांति किए जाएंगे। मंदिरों में सूखा अथवा बंद पैकेट प्रसाद मंदिर परिसर के अंदर ही मान्य होगा। चुन्नी, झण्डा तथा नारियल भी चढ़ा सकते हैं। जगह व श्रद्धालुओं के बैठने की संख्या के आधार पर कोविड-19 के तहत जारी मानकों की अनुपालना के तहत लंगर अथवा भंडारे की अनुमति भी प्रदान की गई है।
उन्होंने बताया कि श्रद्धालु व धार्मिक स्थलों व मंदिर न्यास समितियों के अधिकारियों व पदाधिकारियों तथा पुजारी इस दौरान कोविड-19 के तहत जारी किए गए मानक संचालनों का कढ़ाई से पालन आवश्यक करें, जिसके तहत चेहरे को मास्क से पर्याप्त रूप से ढकना, मंदिर परिसर की सैनेटाईजेशन और स्वच्छता, परस्पर दो गज की दूरी बनाए रखना शामिल है। अवहेलना करने वालों के प्रति कठोर कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।