शिलाई, 31 जनवरी : 15 दिनों से मौत को मात दे रहा 25 साल का फौजी(11 RR) बलवीर ठाकुर आखिर में जिंदगी की जंग हार गया। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट ही पड़ा है, मगर बेहद ही दर्द देने वाली जानकारी यह है कि 3 माह की बेटी के सिर से पिता का साया उठ गया है। ट्रांसगिरी क्षेत्र की झकांडों पंचायत पूरी तरह से शोक में डूबी हुई है। 14-15 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ से छुट्टी लेकर पैतृक गांव झकांडो आ रहा था। 17 जनवरी को भाई बहादुर सिंह ने पंचायत प्रधान का चुनाव भी जीता, मगर बड़े भाई के सिर जीत का सेहरा नहीं बांध सका।
जानकारी के मुताबिक पांवटा साहिब पहुंचने के बाद दिवंगत बलवीर ठाकुर ने बाइक पर घर पहुंचने का निर्णय लिया था। घर से कुछ किलोमीटर दूर ही बाइक दुर्घटनाग्रस्त हो गई। पूरी रात किसी को भी इस हादसे की सूचना नहीं मिली। कड़ाके की ठंड में दिवंगत बलवीर खाई में ही गिरा रहा। पूरी रात तलाश करने के बाद जब बलवीर का कोई पता नहीं चला तो आर्मी की मदद से लोकेशन ट्रेस की गई।
घायल अवस्था में बलवीर को चंडी मंदिर अस्पताल पहुंचाया गया, जहां करीब 15 दिन के बाद वह जिंदगी की जंग हार गया। बता दें कि दिवंगत फौजी का भाई सुरेश ठाकुर भी भारतीय सेना में नायक के पद पर तैनात है। परिवार का मां भारती की रक्षा के लिए गहरा रिश्ता है।
28 जनवरी 2016 को आरआर रेजीमेंट में भर्ती हुए दिवंगत बलवीर ठाकुर अक्टूबर 2018 में फुलमा देवी से परिणय सूत्र में बंधे थे। उनकी 3 महीने की मासूम बेटी भी है। उधर सैनिक वेलफेयर बोर्ड के उपनिदेशक मेजर दीपक धवन ने बताया कि आर्मी स्टेशन हैडक्वाटर नाहन से जानकारी मिली है। उन्होंने बताया कि सैनिक को कि पूरे सम्मान के साथ अंत्योष्टि की जाएगी। दिवंगत सैनिक को गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया जायेगा।
उधर दिवंगत बलवीर ठाकुर के बड़े भाई बहादुर सिंह ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से रुंधे गले से बातचीत में केवल इतना कहा कि छोटे भाई का सपना था कि वह प्रधान बने मगर वह इस सपने को साकार होते हुए नहीं देख पाया।