नाहन – जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा न्यायालय परिसर में घरेलू हिंसा से सम्बन्धित मुद्दों पर दो दिवसीय कार्यक्रम का शुभारम्भ जिला एवं सत्र न्यायाधीश आर0के0 वर्मा ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस कार्यक्रम में पुलिस, अधिवक्ताओं, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग तथा अन्य गैर सरकारी संस्थाओं ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उददेश्य घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम बारे लोगों को जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि इस कानून को बारिकी से समझने पर एक अच्छे समाज का निर्माण किया जा सकता है। महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को इस कानून द्वारा रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि पहले लड़कियों को पैतृक सम्पत्ति में हिस्सा नहीं मिलता था परन्तु इस कानून के आने से अब महिलाएं पैतृक सम्पत्ति में भी हिस्सेदार बन गई हैं। आर0के0वर्मा ने कहा कि यह अधिनियम महिलाओं के संवैधानिक एवं कानूनी अधिकारों के सरंक्षण के लिए भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया है इस अधिनियम को पारित करने का मुख्य उददेश्य महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाना व उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना है। उन्होंने बताया केवल पत्नी ही नहीं बल्कि बहन, विधवा, मां अथवा परिवार के किसी भी सदस्य पर शारीरिक,मानसिक, लैंगिक भावनात्मक एवं आर्थिक उत्पीडऩ को घरेलू हिंसा माना गया है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश रतन सिंह ठाकुर ने कहा कि कानून में महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस नियम बनाए गए हैं उन्होंने कहा कि महिलाओं को भी अपने अधिकारों का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिला को किसी आर्थिक एवं वित्तिय साधन जिसकी वह हकदार हैए से वंचित करनाए स्त्री धन व कोई भी सम्पत्ति जिसकी वह अकेली अथवा किसी अन्य व्यक्ति के साथ हकदार होए आदि को महिला को न देना या उस सम्पत्ति को उसकी सहमति के बिना बेच देना आर्थिक उत्पीडऩ की श्रेणी में आते हैं। मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी हंस राज शर्मा ने कहा कि महिलाओं को स्वयं भी
अपने कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत राज्य सरकार हर जिले में एक या जितने वह उचित समझे संरक्षण अधिकारी नियुक्त कर सकती है जो अधिनियम के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करेगा। उपमण्डल अधिकारी ज्योति राणा ने कहा कि ऐसी महिला जो घरेलू हिंंसा से पीडि़त होए अधिनियम के तहत न्यायिक मैजिस्ट्रेट के समक्ष राहत हेतू जा सकती है। इस अधिनियम की धारा 12 के तहत पीडि़त महिला स्वयं या संरक्षण अधिकारी या अन्य व्यक्ति के माध्य से प्रार्थना पत्र मैजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत कर सकती है।
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