सचिन ओबराय/पांवटा साहिब
हिमाचल के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी के घर कीें नगर परिषद में पांवटा साहिब में उपाध्यक्ष की कीमत पर भाजपा ने सत्ता वापसी की है। दरअसल, सत्तारूढ़ राजनीतिक दल 7 पार्षदों के आंकड़े से एक कदम पीछे रह गया था। तीन निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते। इसमें से वार्ड नंबर 10 से बाजी मारने वाले मधुकर डोगरी ने चुनाव जीतते ही नगर परिषद में कथित भ्रष्टाचार को लेकर तल्ख टिप्पणी कर डाली थी। लिहाजा साफ हो गया था कि वो भाजपा के खेमे में सातवें पार्षद नहीं होंगे।
वार्ड नंबर 8 से डाॅ. रोहताश ने भी निर्दलीय के तौर पर चुनाव जीता था। लेकिन बीजेपी को सातवें पार्षद के तौर पर वार्ड नंबर 9 से मीनू गुप्ता उपयुक्त लगी। यहां मीनू गुप्ता ने नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष नवीन शर्मा की मां सुदेश शर्मा को 45 मतों के अंतर से हराया था। बता दें कि दिसंबर 2019 में नवीन शर्मा को कथित भ्रष्टाचार का एक वीडियो वायरल होने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था। मंगलवार को मीडिया के सामने आकर खुद ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने नगर परिषद के अध्यक्ष पद पर निर्मल कौर के नाम का ऐलान किया, जबकि उपाध्यक्ष के पद पर मीनू गुप्ता के चयन की भी घोषणा की। इस दौरान भाजपा समर्थित 6 पार्षदों के अलावा मीनू गुप्ता को भी मीडिया के समक्ष पेश किया गया।
चुनावी नतीजों के बाद से ही निर्मल कौर के अध्यक्ष बनने की चर्चा शुरू हो गई थी। खास बात यह है कि पांवटा साहिब नगर परिषद में अध्यक्ष का पद अनारक्षित था। मगर समीकरण ऐसे बनें कि दोनों ही अहम ओहदों पर महिलाओं ने कब्जा किया है। भाजपा के 6 पार्षदों में 5 महिलाएं चुनाव जीतकर आई। अब बहुमत के लिए भी भाजपा ने महिला को ही उपाध्यक्ष का ओहदा देकर नवाजा है। वार्ड नंबर 8 से चुनाव हारे नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष संजय सिंघल ही पद के लिए सबसे उपयुक्त माने जा रहे थे। लेकिन हार की वजह से इस पद के हकदार नहीं बन सके।
कुल मिलाकर चर्चा ये है कि सूबे के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी अपने पैतृक क्षेत्र की नगर परिषद में 7 पार्षदों का आंकड़ा हासिल नहीं कर सके। इसी कारण उन्हें अपनी पार्टी की विचारधारा से बाहर जाकर उपाध्यक्ष पद की कीमत पर सत्ता हासिल करनी पड़ी।
क्यों पांवटा साहिब नगर परिषद की अहमियत…
हिमाचल में पांवटा नगर परिषद की कई मायनों में अहमियत है। ये पड़ोसी राज्य उत्तराखंड की प्रवेशद्वार भी है। वीवीआईपी की मूवमेंट अक्सर रहती है। गुरुद्वारा साहिब के कारण अंतरराष्ट्रीय पटल पर है। हरियाणा की सीमा भी नजदीक है। इसके अलावा 13 वार्डों की ये नगर परिषद आमदनी के लिहाज से भी अहम है। नगर परिषद के दायरे में औद्योगिक क्षेत्र भी है। इसमें देश के कई बड़े औद्योगिक घरानों का नाता है। मैदानी क्षेत्र होने की वजह से हमेशा विस्तार की गुंजाइश रहती है। साथ लगते ग्रामीण इलाकों में गन्ने, आम, धान व गेहूं इत्यादि का काफी उत्पादन होता हैै। सीसीआई की सीमेंट यूनिट भी साथ लगती है।