शिमला, 31 दिसंबर : एक तरफ सरकार 3 साल के पूरा होने का जश्न मना रही है तो दूसरी तरफ करुणामूलक आश्रित परिवार (Compassionate dependent family) दर-दर ठोकरें खाने को मजबूर हैं। करुणामूलक संघ के उपाध्यक्ष अजय कुमार ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए यह बात कही है कि करूणामूलक नौकरियों (Compassionate jobs) के मुद्दे को सरकार ने 3 सालों मैं दरकिनार ही किया है। सरकार ने करूणामूलकों के लिए सालाना 2.50 लाख आय सीमा की पॉलिसी (Income limit policy) तो बना दी है पर नौकरियों देने के मामलों मैं असमर्थ रही है। सरकार ने पॉलिसी मे नौकरियां देने के मामलों को 5% कोटे की शर्त मे बांध दिया है, क्योंकि 5% कोटे के हिसाब से बहुत कम पद बनते हैं। उन्होंने कहा कि दिन प्रतिदिन करूणामूलकों आश्रितों की संख्या बढ़ रही है पर सरकार रोजगार मुहैया करवाने में असमर्थ रही है।
कोरोना महामारी के चलते इन परिवारों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एक तो इन परिवारों का कमाने वाला गुजर चुका है और ऊपर से महामारी के चलते इन परिवारों की स्थिति दयनीय है। बावजूद इसके आश्रित परिवारों के प्रति सरकार की कोई दया भावना देखने को नही मिली है। बता दे कि सरकार के पास विभिन्न विभागों, बोर्ड व निगमों में 4500 से ज्यादा करुणामूलक नौकरी संबंधी मामले पहुंचे हैं। प्रभावित परिवार करीब 15 साल से नौकरी का इंतजार कर रहें हैं। उन्होंने कहा कि कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु होने के बाद आश्रित परिवार दर-दर की ठोंकरें खाने को मजबूर हैं और हर रोज कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं।
करूणामूलक आश्रितों ने हिमाचल सरकार के 3 साल पूरा होने पर फिर से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द उचित फैसला लें व पीड़ित परिवारों को करुणामूलक आधार पर नियुक्तियाँ प्रदान करें। संघ ने कहा है कि करुणामूलक आधार पर नौकरी के लिए वन टाइम रिलैक्सेशन (one time relaxation) के तहत सभी पदों को एक साथ भरने की कृपा करें। साथ ही नौकरियों से आय का दायरा हटाए जाने की मांग की है।