नाहन, 28 दिसंबर : पंचायतीराज प्रणाली में आरक्षण रोस्टर को लेकर कई मर्तबा सवाल उठते हैं। रोस्टर को तय करने के पीछे जनसंख्या का तर्क दिया जाता है। बीडीसी के चुनाव को लेकर नाहन विकास खंड में दिलचस्प स्थिति पैदा होती नजर आ रही है। विकासखंड में बीडीसी के सदस्यों की 18 सीटें हैं। कौलावालाभूड़ की सीट को अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित किया गया है। बीडीसी के चेयरपर्सन का पद भी अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है। यानी जो महिला इस वार्ड से जीतेगी, वह चेयरपर्सन हो सकती है। साफ़ है कि हॉट सीट है।
अटकलों के मुताबिक भाजपा ने इसे बखूबी तोल-मोल लिया है। प्रत्याशी को भी मैदान में उतारकर चुनाव प्रचार में मोर्चा दे दिया गया है। वहीं कांग्रेस सशक्त उम्मीदवार को इस वार्ड से नहीं उतार पा रही है। अगर कांग्रेस ने 18 सीटों पर बहुमत हासिल कर भी लिया और अन्य पिछडे वर्ग से महिला पाले में नहीं हुई तो जीत कर भी हार का सामना करना पड़ सकता है।
अब कांग्रेस के सामने दो विकल्प बचे है, इसमें कौलावालाभूड़ वार्ड से सशक्त उम्मीदवार को उतारा जाए या फिर महिलाओं के लिए आरक्षित वालों वार्डो से भी अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को ही दंगल में उतारा जाए। ताकि बहुमत हासिल करने की स्थिति में संकट का सामना न करना पड़े। अन्यथा एक सीट जीतकर भी भाजपा बीडीसी की सत्ता पर काबिज हो सकती है। जहां तक महिलाओं के आरक्षण का सवाल है तो बीडीसी में नहरस्वार, बनकला, नाहन व बनेठी वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित है। इसमें किसी भी वर्ग की महिलाओं को मैदान में उतारा जा सकता है।
2015 के बीडीसी चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के बीच बीडीओ कार्यालय में जमकर घमासान हुआ था, धक्का-मुक्की तक भी हुई थी। हालांकि कांग्रेस अंतिम समय तक बीडीसी की सत्ता के नज़दीक थी। लेकिन बीजेपी के तेज़तर्रार नेता डॉ. राजीव बिंदल ने एन मौके पर सत्ता पर कब्जा कर लिया था। चूंकि 2 साल बाद विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। लिहाजा इन चुनावों को सेमीफाइनल भी माना जा रहा है। सिरमौर में 6 विकास खंड है।
पावंटा साहिब में चेयरपर्सन का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुआ है। जबकि शिलाई में अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षण हुआ है। इसके अलावा संगड़ाह व पच्छाद में चेयरपर्सन का पद अनारक्षित है। वही राजगढ़ में महिला को प्रतिनिधित्व मिला है।