हमीरपर, 20 दिसम्बर : जनपद के नादौन में मिठाई (Sweets) की दुकान (Shop) में रखी हरी सब्जियां (Vegetables) व फूल आपको चकमें में डाल सकते हैं। असल में यह खास तरह की मिठाईयां हैं। जिन्हें सिर्फ हमीरपुर के एक गांव में पाकिस्तान (Pakistan) के लाहौर (Lahore) के बने हुए खास तरह के सांचों से वर्षों से बनाया जा रहा है।
किटपल पंचायत के सेरा रोड़ गांव के दिनेश कुमार उर्फ बिट्टू सांचों (Templates) से विशेष प्रकार की मिठाई बनाने में माहिर हैं। दिनेश 17 सालों से मिठाई की दुकान चला रहे हैं। दस सालों तक बदारन में दुकान के बाद 7 सालों से अपने ही गांव में मिठाई की दुकान चला रहे हैं। उनके पास 17 प्रकार के सांचे हैं, जो लाहौर के छाता बाजार के बने हुए हैं।
दिनेश के पास मिठाई बनाने के जो विशेष सांचे मौजूद हैं। इनमें करेला, बैंगन, भिड़ी, तरबूज, गाजर, अदरक, मक्की, गुलाब, केला, गलगल, आलू, आम, आडू, बादाम, अखरोट, छुआरा व कंडा के आकार की विशेष प्रकार की मिठाई व बर्फी तैयार कर सकते हैं।
सांचे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में दिनेश कुमार के पास मौजूद हैं। दिनेश ने अपने पुरखों (Ancestral) की विरासत को संजो कर रखने की मिसाल कायम की है। उन्हें मलाल है कि मिठाई बनाने की इस कला को सीखने वाला कोई नहीं है। बावजूद इसके उन्होंने इन सांचों को जान से भी ज्यादा संभाल कर रखा हुआ है।
उन्होंने बताया कि हलवाई के तौर पर मशहूर उनके नाना भगत राम लाहौर में मिठाई की दुकान चलाते थे, विभाजन ने उन्हें भी उखडने पर मजबूर कर दिया। लाहौर का कारोबार छोड़ घर लौटना पड़ा तो उन्होंने कांगड़ा के सांतला में मिठाई के काम को स्थापित किया। वह कड़क स्वभाव के व्यक्ति थे और लंबी आयु (Long Life) पाई। वर्ष 2012 में 102 साल की उम्र में स्वर्ग सिधारे। हलवाई के तौर पर उनकी विशेष पहचान रही।
दिनेश कहते हैं कि सांतला में उनका ननिहाल है। बचपन में जब वह वहां जाते थे तो नाना ने उन्हेंं मिठाई बनाना सिखाई थी। बाद में नाना ने उन्हें विशेष प्रकार से सांचे भेंट किए। उन्होंने इन सांचों के जरिये विशेष प्रकार की बर्फी बनाने की कला सीखी थी। बाद में जब मिठाई का काम शुरू किया तो यह कला उनके बड़े काम आई। अपने नाना की यादों को ताजा रखने के लिए आज भी वह ऑर्डर पर विशेष बर्फी बनाते हैं। दिनेश के पिता केवल कृष्ण और मां कांता देवी भी हौसला बढ़ाते है। है। वे दो भाई हैं, छोटे भाई सुनील टैंट हाऊस चलाते हैं।
दिनेश कहते हैं कि पहले इस खास मिठाई की बहुत मांग होती थी और दूर- दूर से लोग खरीदने आते थे। इस मिठाई को तैयार करने में खासा समय और मेहनत लगती है। ऐसे में अब वह ऑर्डर पर ही यह मिठाई तैयार करते हैं।