शिमला, 19 दिसंबर : कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में शिमला जिला प्रदेश भर में टॉप पर है। प्रदेश में 849 मरीजों की कोरोना से जान गई है। इनमें सबसे ज्यादा 232 मौतें शिमला जिला में हुई हैं। राज्य भर से कोरोना के गंभीर मरीजों का शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में उपचार चलता है। कई कोरोना मरीज अस्पताल में दम तोड़ रहे हैं। दिलचस्प यह है कि प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलजों के मुकाबले आईजीएमसी में कोरोना की डेथ रेट कम है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो आईजीएमसी में कोरोना संक्रमित से मरने वालों की मृत्यु दर 17.89 प्रतिशत है, जबकि अन्य मेडिकल कॉलेजों की यह दर अधिक है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में अब तक भर्ती कोविड के 1325 मरीजों का इलाज कर चुका है, जिसमें अब 237 कोरोना मरीजों की मौत हुई है और यह डेथ रेट 17.89 है। वहीं नेरचौक मेडिकल कॉलेज में अब 1113 भर्ती मरीजों का इलाज हुआ है, जिसमें 215 की मौत और डेथ रेट 19.32 है। वहीं टांडा मेडिकल कॉलेज में अब 407 भर्ती मरीजों का इलाज हुआ है और 150 मौतें हुई है, वहीं डेथ रेट 36.86 प्रतिशत है।
गौर हो कि कोरोना संकट काल में प्रदेश में आईजीएमसी पहला ऐसा अस्पताल बना है, जहां चिकित्सकों द्वारा कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ नॉन कोविड यानी अन्य बीमारियों से ग्रस्त मरीजों का भी इलाज किया जाता है। वहीं प्रदेश के सभी कोविड सेंटरों व मेडिकल कॉलेजों से कोविड के मरीजों रैफर होने और सबसे अधिक कोरोना मरीजों का इलाज करने के बावजूद भी अन्य मेडिकल कॉलेजों के मुकाबले आईजीएमसी में कोरोना संक्रमित मरीजों की डेथ रेट कम है।