नाहन, 18 दिसंबर : बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष व नाहन के विधायक डॉ. राजीव बिंदल (Dr. Rajeev Bindal) एक बार फिर मुश्किल में हैं। नगर परिषद सोलन का 22 साल पुराना तथाकथित भर्ती घोटाला मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने वाले समाज सेवी अनिल शर्मा शुक्रवार को मीडिया के सामने आए।
पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस मामले के अलावा भी वो कोरोना संकट के दौरान स्वास्थ्य निदेशालय (Health Directorate) के घोटालों (Scams) को उजागर करेंगे। उन्होंने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद मामले को हाईकोर्ट (High Court) से वापस करवा दिया गया।
उनके मुताबिक सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में इस संबंध में याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conference) के जरिए सुनवाई हुई और सरकार को नोटिस जारी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई करते हुए 35 लोगों को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
उनका कहना था कि विशेष अनुमति याचिका का जवाब डॉ. राजीव बिंदल और नगर परिषद सोलन के अध्यक्ष देवेंद्र ठाकुर सहित 35 लोगों को चार सप्ताह में देना है। इस मामले को मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने अपने हाथ में लिया है। राज्य सरकार ने बीते साल बिंदल के खिलाफ इस केस को वापस ले लिया था और इसके बाद मामले को कोर्ट ने भी खारिज कर दिया था। समाजसेवी अनिल कुमार की दायर याचिका पर SC ने मामले में सरकार से जवाब मांगा है।
क्या है मामला…
वर्ष 1998 से 2000 के दौरान सोलन नगर परिषद में करीब 24 भर्तियां हुईं थी। डॉ. बिंदल उस समय नगर परिषद के अध्यक्ष थे। आरोप था कि उन्होंने नियम दरकिनार कर चहेतों को नौकरी पर रखा। भाजपा के बाद कांग्रेस जब सत्ता में आई तो इस मामले पर जांच (Inquiry) बिठाई गई। कांग्रेस ने डॉ. बिंदल के खिलाफ विजिलेंस में केस दर्ज करवाया। शुरूआत में बिंदल समेत 27 लोगों को आरोपी बनाया गया था। ये मामला सोलन की अदालत में चल रहा था। जनवरी 2019 में सरकार ने ये मामला वापस ले लिया था।
ये बोले डॉ बिंदल…
उधर इस बारे प्रतिक्रिया में विधायक डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि वो न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास रखते हैं। उन्होंने कहा कि अदालत का जो भी आदेश होगा वह स्वीकार है। उनका कहना था कि अगर 22 साल पुराने इस मामले में मामूली सी भी चूक होती तो उन्हें कांग्रेस की सरकारों ने कब का सलाख़ों के पीछे भेज दिया होता। विधायक का कहना था कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को सोलन नगर परिषद में रोज़गार मिला था।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पूर्व सरकारों ने इस मामले में राजनीतिक फायदा उठाने की भरसक कोशिश की। अब जब गलती की ही नहीं थी तो यह कार्रवाई भी क्या कर सकती थी। विधायक ने कहा कि वह शुरू से ही यह कहते आ रहे हैं कि इस मामले को राजनीतिक रंग दिया गया है।