शिमला, 17 दिसंबर : चंद रोज पहले स्पीति घाटी (Spiti Valley) में बकरी की दुर्लभ प्रजाति ‘‘सिरो’’ के मिलने से हर कोई रोमांचित व उत्साहित हो उठा था। अब बर्फ की चादर पर कदमताल व अठखेलियां करते “हिमालयन कस्तूरी मृग” (Himalayan Musk Deer) के दीदार ने दोबारा से वन्यप्राणी प्रेमियों (Wildlife Lovers) को चहकने का अवसर दे दिया है। दुनिया की दुर्लभ प्रजाति में शुमार हिमालयन कस्तूरी मृग कई दशकों (Decades) बाद लाहौल घाटी में नजर आया है।
वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट (Wild Life Activist) इन्द्रजीत भानू वो शख्स हैं, जिन्हें न केवल कस्तूरी मृग को अठखेलियां करते हुए देखने का मौका मिला, बल्कि उन्होंने इसे अपने कैमरे (Camera) में भी बखूबी कैद कर लिया। दीगर है कि वन्यप्राणियों की साइटिंग (Sighting) भी हरेक को नहीं होती। इसमें भी आपको किस्मत चाहिए होती है। हालांकि कस्तूरी मृग की मौजूदगी हिमाचल के कई ऊंचे इलाकों में पहली भी मिलती रही है, लेकिन इस तरीके का खूबसूरत वीडियो व तस्वीरें शायद पहली बार ही सामने आई होंगी। ऐसा माना जाता है कि हिमालयन कस्तूरी मृग की दुनिया भर में ही काफी कम संख्या बची है। ऐसी भी आशंका है कि रोहतांग टनल (Rohtang Atal Tunnel) के वजूद में आने के बाद शिकारियों का रूख भी लाहौल घाटी की तरफ बढ़ेगा।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि कस्तूरी मृग प्रकृति के सुंदरतम जीवों में से एक है। इसकी मौजूदगी 6 हजार से 15 हजार फुट की ऊंचाई तक मिलती है। हिमशिखरों पर मिलने वाले इस खूबसूरत प्राणी का वैज्ञानिक नाम माॅस्कस क्राईसोगास्ट (Mascus Chrysogast) है। इसे मस्क डियर (Musk Deer) भी कहा जाता है। उधर वाइल्ड लाइफ के सीसीएफ अनिल ठाकुर का कहना था कि ये बेहद ही अच्छी खबर है कि सिरो की साइटिंग के बाद हिमालयन कस्तूरी मृग भी नजर आया है। उन्होंने बताया कि जानकारी मिलने के बाद तुरंत ही विभाग की टीम दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण को लेकर सक्रिय हो गई हैै।
ये विशेषता…
कस्तूरी मृग अपनी सुंदरता के साथ-साथ नाभि में कस्तूरी के लिए भी जाना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक कस्तूरी केवल नर मृग में पाई जाती है, जो निचले भाग की एक ग्रंथि में होती है। थैलीनुमा स्थान पर कस्तूरी होती है। कस्तूरी मृग छोटा व शर्मीला जानवर है। उल्लेखनीय है कि लाहौल-स्पीति में कस्तूरी मृग की प्रजाति करीब-करीब विलुप्त हो गई थी। 2012 में स्थानीय महिला मंडलों ने वन्यप्राणियों के शिकार पर सख्ती बरतने में अपनी एक अहम भूमिका निभाई। जुर्माने के अलावा ऐसा करने वालों का सामाजिक बहिष्कार का भी निर्णय हुआ। ये भी कारण हो सकते हैं कि सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं।
ऐसा नहीं…
वन्यप्राणी अधिनियम के तहत किसी भी ऐसी दुर्लभ प्रजाति के सटीक स्थान का खुलासा करने की अनुमति नहीं होती, जिससे उनके जीवन को खतरा पैदा हो जाए। विभाग भी इस बारे पूरी सावधानी बरत रहा है। सर्दियों के दौरान उच्च क्षेत्रों में बर्फबारी के कारण जानवर निचले क्षेत्रों में पहंुच जाते हैं। सर्दियों में शिकारी भी जानवरों को मारने के लिए खासे सक्रिय होते हैं।