शिमला, 16 दिसंबर : बुधवार दोपहर पंचायतीराज व शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव के मद्देनजर एक अहम सवाल उठा है। इसके मुताबिक क्या प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को इस बात का पता है कि राज्य में किस तारीख व किस समय आदर्श आचार संहिता लागू होनी है। लाजमी तौर पर आपके जहन में एक सवाल यह उठ रहा होगा कि ऐसे सवाल का जवाब क्यों तलाशा जा रहा है।
दरअसल, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बेहद ही आत्मविश्वास से बुधवार दोपहर को ये कहा कि राज्य में 19 दिसंबर के बाद कभी भी आचार संहिता लग सकती है। सीएम कैसे कह सकते हैं कि इस तारीख के बाद आचार संहिता लगेगी, जबकि ऐसी टिप्पणी करने का अधिकार क्षेत्र राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त या सचिव का हो सकता है। यह अलग बात है कि आयुक्त व सचिव की नियुक्ति सरकार के माध्यम से ही होती है। सीएम ने चुनाव आचार संहिता से जुड़ी बात उस समय कही, जब वो सिराज के थुनाग में एसबीआई की शाखा का लोकापर्ण वीसी के माध्यम से कर रहे थे। राज्य में 21-22 जनवरी से पहले नए पंचायतीराज व शहरी निकायों का गठन होना है।
पंचायतीराज चुनाव से जुड़े जानकारों का कहना है कि 20 से 25 दिन के बीच प्रक्रिया को पूरा किया जा सकता है। इसी कारण आचार संहिता लागू करने में भी समय लिया जा रहा है। लाजमी तौर पर चुनाव आचार संहिता में विलंब का फायदा सत्तारूढ़ राजनीतिक दल को ही मिलता है। मसलन, 14 दिसंबर की मंत्रिमंडल की बैठक मेें कई ऐसे निर्णय लिए गए, जिससे चुनाव में फायदा मिल सकता है।
2015-16 के पंचायतीराज चुनाव की अधिसूचना 5 दिसंबर 2015 को जारी कर दी गई थी। पहले चरण में एक जनवरी 2016 को मतदान हुआ था, जबकि दूसरे व तीसरे चरण का मतदान 3 व 5 जनवरी को हुआ। 15 से 17 दिसंबर तक नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे। 19 से 21 दिसंबर तक नामांकन पत्र वापस लेने की तारीख तय हुई थी। जनजातीय क्षेत्रों में पहले ही मतदान करवा लिया गया था। लेकिन इस बार 16 दिसंबर तक चुनाव आचार संहिता ही लागू नहीं हुई है, इससे यह भी जाहिर हो रहा है कि सरकार सियासी फायदा हासिल करने के मकसद से ज्यादा से ज्यादा वक्त लेना चाहती है।