शिमला, 15 दिसंबर: हर कोई इस बात से बखूबी वाकिफ होता है कि मुख्यमंत्री रिलीफ फंड का मकसद क्या है। मगर आपको यह बताया जाए कि इसका आबंटन नेताओ व ठेकेदारों के अलावा पत्रकारों को भी कर दिया गया तो लाजमी तौर पर आप हैरान होंगे। मामला, कांगड़ा के सुलह विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। यहां करीब एक करोड़ रुपए की रकम ऐसे लोगों को दे दी गई, जो इसके पात्र नहीं थे।
आरटीआई कार्यकर्ता पारितोष गुप्ता ने जानकारी जुटाने के बाद इस मामले का खुलासा किया है। इसके मुताबिक पालमपुर के जिला भाजपा अध्यक्ष हरिदत्त शर्मा को 20 हजार रुपए दिए गए। वो पेशे से ठेकेदार भी हैं। इसी तरह प्राईवेट स्कूल चलाने वाले को 15 हजार रुपए की रकम दी गई है। अंग्रेजी दैनिक द ट्रिब्यून ने इस मामले का खुलासा किया है। इसके मुताबिक मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष का फायदा पंचायत प्रधानों, व्यापारियों व सेवानिवृत कर्मचारियों के अलावा ठेकेदारों को भी दिया गया। चौंकाने वाली बात यह भी है कि ऐसे कारोबारी को भी सीएम रिलीफ फंड से राशि जारी की गई, जो आयकर दाता है।
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक एसडीएम पालमपुर व धीरा के माध्यम से चैकों का आबंटन किया गया। आरटीआई कार्यकर्ता पारितोष गुप्ता ने इस मामले में सरकार से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। सवाल इस बात पर उठता है कि लाभार्थियों को चैक क्यों दिए गए, क्योंकि सामान्य तौर पर राशि को लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर किया जाता है। बहरहाल, कोरोना संकट में लोगों ने खुलकर दान किया। भावना यह थी कि जरूरतमंदों तक ये राशि पहुंचे। लिहाजा, इस मामले की जांच उच्च स्तर पर होनी चाहिए, ताकि उन लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे, जिनकी बदौलत सीएम रिलीफ फंड में हर माह करोड़ों रुपए पहुंचते हैं। गौरतलब है कि हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार का सुलह गृह विधानसभा क्षेत्र है।