नाहन, 9 दिसंबर: करीब-करीब साढ़े तीन महीने बाद शिमला से पवन, चेतक व बाज वापस नाहन लौट आए हैं। दो दिन पहले वापसी के बाद शहर(Town) की सड़कों पर बुधवार को पवन व चेतक शानदार लिबास(Uniform) में अपने नामों को अंकित कर निकले तो दोबारा कौतूहल (Curiosity) का विषय बन गए। 11 सितंबर 2020 को एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क ने इस बात का खुलासा किया था कि सिरमौर में माउंटिड पुलिस (Mounted Police) का हिस्सा बन चुके घोड़ों(Horse) की टोली को चुपचाप ही शिमला भेज दिया गया है।
पहले दो घोड़ों को भेजा गया, लेकिन तीसरा अपने साथियों की विरह (Absence) में बीमार(ill) हो गया। लिहाजा, उसे भी शिमला भेज दिया गया था। बता दें कि सिरमौर रियासत के वक्त में भी गश्त(Patrolling) के लिए घोड़ों का इस्तेमाल किया जाता था। इनके कई फायदे हैं। संकीर्ण गलियों में भी जा सकते हैं तो अपनी टाप से चोरों को खौफजद भी कर सकते हैं।
करीब-करीब 8-10 साल बाद दिसंबर 2018 में सिरमौर पुलिस(Sirmour Police) को तीन घोड़े मिले थे। इन्हें पुलिस के अश्वरोही दल में शामिल किया गया था। दीगर यह भी है कि घोड़ों के साइस (अश्वपाल) के तौर पर पुलिस में वीर बेग व सेवाराम अपनी सेवाएं(Services) दे रहे हैं।
15 अगस्त 2020 की परेड में जब पवन, चेतक व बाज को शामिल नहीं किया गया तो शिफ्टिंग(Shifting) को लेकर संशय तो पैदा हुआ था, लेकिन इसका खुलासा सितंबर में ही हुआ। अनुष्ठानिक दिवसों (Ritual days) पर घोड़ों की कदम ताल एक अलग ही आकर्षण(Attraction) का केंद्र बिंदू बनती है।
सिरमौर रियासत के वक्त में चौगान मैदान के समीप अस्तबल भी था। 60 के दशक के बाद इसमें आर्टस काॅलेज शुरू किया गया। अब यह परिसर मेडिकल काॅलेज के सुर्पुद किया जा चुका है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बबीता राणा ने ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा कि घोड़ों की वापसी हो गई है। उन्होंने कहा कि बुधवार को पैट्रोलिंग पर भी निकले थे।