सोलन, 8 दिसंबर: 3 दिसंबर 2020 को सियाचिन गलेशियर में 18,360 फुट की उंचाई पर मां भारती की रक्षा में शहादत हासिल करने वाला बिल्जन गुरंग मंगलवार दोपहर पंचतत्व में विलीन हो गया। शहीद की पत्नी दीपिका गुरंग की इसी महीने के आखिर में डिलीवरी है। पिता बनने से चंद सप्ताह पहले ही बिल्जन गुरंग ने भारत मां की रक्षा में अपने प्राणों की आहूति दे दी।
राजकीय सम्मान के साथ शहीद की अंत्येष्टि सुबाथू में हुई। 29 वर्षीय शहीद बिल्जन गुरंग ने सियाचिन गलेशियर पर उस शहादत पाई थी, जब वो स्नो स्कूटर पर अपने पोर्टर के साथ जा रहे थे। इसमें पोर्टर का भी निधन हो गया था। ये वो कठिन इलाका था, जिसके बारे में शहीद वाकिफ नहीं था। मौके पर तापमान माईनस 30 डिग्री था। बावजूद इसके बर्फ की गहरी दरारों के बीच से हवलदार ओम बहादुर गुरंग व नायक नवराज पुन ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। इसमें नायक बिल्जन गुरंग व पोर्टर स्टेंजिंग के शवों को बर्फ की गहरी खाई से निकाला गया। 2 अगस्त 1991 को जन्में शहीद बिल्जन गुरंग मूलतः नेपाल के लमजंग के प्यारजंग गनकड़ी के रहने वाले थे। उन्होंने अपने पिता पूर्व हवलदार लोक राज गुरंग के पलटन (3/1जीआर) को ज्वाइन किया था।
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कुछ समय पहले ही दीपिका गुरंग से परिणय सूत्र में बंधे थे। बता दें कि बर्फ की दरारों से बनी खाई से जिस हवलदार ओम बहादुर गुरंग ने रेस्क्यू ऑपरेशन में साहस व बहादुरी का परिचय दिया, उन्होंने भीे 1992 में सियाचिन गलेशियर में ऐसी ही परिस्थितियों में अपने पिता को भी खो दिया था। 1984 में भारतीय सेना ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण साॅल्टोरो चोटी पर कब्जा करने के मकसद से ऑपरेशन मेघदूत चलाया था, ताकि पाकिस्तानी सेना के डिजाईन को ऑफसेट किया जा सके। भारतीय सेना ने सियाचिन गलेशियर पर कब्जा करने के लिए 76 किलोमीटर का अभियान चलाया था। सियाचिन में सिपाही का जीवन बेहद ही कठिन होता है, क्योंकि तापमान माईनस 60 डिग्री तक पहुंच जाता है। हाई अल्टीटयूड के कारण हिम स्खलन, क्रेवेस व मेडिकल जटिलताओं का लगातार खतरा बना रहता है।
शहीद की अंत्येष्टि के दौरान स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव सहजल, 14 जीटीसी के ब्रिगेडियर एचएस संधू, डीएसपी योगेश रोल्टा के अलावा सैनिक कल्याण बोर्ड के उपनिदेशक मेजर दीपक धवन इत्यादि मौजूद थे। अंत्येष्टि के दौरान 14 जीटीसी के जवानों ने पारंपरिक धुनों से शहीद को अंतिम विदाई दी। बता दें कि सोमवार को ही शहीद का परिवार सुबाथू पहुंच चुका था। पार्थिव देह को कसौली के शवगृह में रखा गया था।