शिमला, 7 दिसंबर : हिमाचल प्रदेश की जेलों (Prisons) में शिक्षा की अलख जगाई जा रही है। जेलों में बंद कैदियों (Prisoners) को शिक्षा के रास्ते पर ले जाया जा रहा है। कैदी जमा दो से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन (Post Graduation) तक की शिक्षा ले रहे हैं और ये सब उन्हें शिक्षित बनाकर नेक रास्ते पर ले जाने के लिए किया जा रहा है। कैदियों को शिक्षित करने के मकसद से जेलों में इग्नु सेंटर (IGNOU Center) खोले गए हैं। पिछले दो साल में 194 कैदियों ने इग्नु से पढ़ाई की। इनमें 31 कैदियों ने ग्रैजुएशन और 11 ने पीजी की पढ़ाई पूरी की। प्रदेश की सभी जेलों में कैदियों के मनोरंजन (Entertainment) और सामान्य ज्ञान (General Knowledge) में सुधार के लिए किताबें (Books) और समाचार पत्र (News Papers) उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि वर्ष 2017-18 में 106 कैदियों ने शिक्षा हासिल की, जिनमें से 85 ने जमा दो, 18 ने स्नातक और 03 ने स्नातकोत्तर में शिक्षा अर्जित की। वर्ष 2018-19 में 88 कैदियों में से 67 ने जमा दो, 13 में स्नातक एवं 08 ने स्नातकोत्तर में शिक्षा अर्जित की। इस समय कुछ कैदी स्नातक एवं जमा दो में पढ़ रहे हैं तथा कुछ कैदियों द्वारा स्नातक की शिक्षा पूरी कर ली गई है।
उन्होंने कहा कि ‘हर हाथ को काम’ परियोजना के तहत कारागार एवं सुधारात्मक सेवाएं विभाग (Prison and Corrective Services Department) मुक्त कारागार कैदियों को जेलों की परिधि (circumference) से बाहर निजी उद्यमों (Enterprises) में काम करने की अनुमति देकर उनके लिए नौकरी/कार्य प्राप्त करने की सुविधा भी दे रहा है। वर्तमान में इस परियोजना (Project) के तहत 04 महिलाओं सहित 146 कैदी मजदूरी अर्जित कर रहे हैं।
विभाग द्वारा चलाई जा रही इन कल्याणकारी योजनाओं (Welfare schemes) के कारण वर्ष 2017-18 में तीन करोड़ 24 लाख रुपये का टर्नओवर (Turn Over) प्राप्त हुआ है, वर्ष 2018-19 में तीन करोड़ 58 लाख रुपये का टर्नओवर तथा वर्ष 2019-20 में चार करोड़ 68 लाख रुपये का टर्नओवर प्राप्त हुआ है। वर्ष 2018-19 में एक करोड़ 19 लाख रुपये की मजदूरी, जबकि वर्ष 2019-20 में एक करोड़ 48 लाख रुपये की मजदूरी दी गई।
प्रवक्ता ने बताया कि हिमाचल प्रदेश की जेलों में उत्पादित उत्पादों (Produced products) को हिमकारा ब्राण्ड के नाम से हिमकारा स्टोर के माध्यम से विक्रय किया जा रहा है, जिसे कि भारत सरकार के व्यापार चिन्ह अधिनियम 1999 (Trade Marks Act 1999) के तहत ‘हिमकारा’ नाम से अप्रैल 2019 में रजिस्टर किया गया है। जेल निर्मित कुछ उत्पाद जैम पोर्टल (Jam portal) पर भी उपलब्ध करवाए गए हैं। हिमाचल प्रदेश की जेलों में निर्मित शाॅल, मफलर, कोट पट्टी आदि उत्पादों को भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ़ टैक्सटाइल (Ministry of textile) द्वारा ‘हैंडलूम मार्क’ (Handloom mark) भी प्रदान किया गया है।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में जेल की क्षमता व कैदियों की संख्या में बढ़ोतरी होने के कारण इनके कुशल संचालन के लिए विभाग में विभिन्न श्रेणियों के पदों में भी बढ़ोतरी की गई है। वर्तमान में इनकी संख्या 732 हो गई है। उन्होंने कहा कि कैदियों के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाता है और समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते हैं। पिछले तीन वर्षों के दौरान हिमाचल प्रदेश की सभी जेलों में खून टैस्ट करने के लिए प्रयोगशालाएं (Laboratories) भी स्थापित की गई हैं, ताकि कैदियों को समय पर चिकित्सा सुविधा प्राप्त हो सके तथा उन्हें जेल से बाहर भेजने पर होने वाले व्यय व अन्य असुविधा से बचा जा सके।
प्रवक्ता के मुताबिक प्रदेश की जेलों में पहली बार इसी वर्ष जून 2020 में कंडा जेल में डेंटल हेल्थ क्लीनिक (Dental Health Clinic) भी स्थापित किया है, अन्य तीन बड़ी जेलों में जहां पर कैदियों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक रहती है, वहां भी इसी तरह के डेंटल हेल्थ क्लीनिक स्थापित जा रहे हैं।