नाहन (एमबीएम न्यूज): शरीर नश्वर है, इसे मिट्टी में मिलना है। क्यों न जीवन में कुछ ऐसा किया जाए कि आपके अंगों से कईयों की जिंदगी संवर जाए। शायद इन्हीं पंक्तियों से प्रभावित होकर पांवटा साहिब के रहने वाले वेद प्रकाश शर्मा ने अपना शरीर दान करने का फैसला कर लिया है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत मेंं शर्मा ने कहा कि उनकी आंखों से किसी को रोशनी मिले, उनके गुर्दों से किसी की उम्र बढ़ जाए। मेरे जीवन के बाद दिल धडक़ता रहे।
स्वास्थ्य विभाग से मेल हेल्थ सुपरवाइजर के पद से सेवानिवृत हुए वेद प्रकाश शर्मा अपने जीवन में जुझारू शख्स रहे। 1968 में स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवाएं शुरू की। 1970 में कर्मचारियों के हित में 19 दिन नाहन सैंट्रल जेल में भी बिताए। 2007 में जब वेद प्रकाश शर्मा सेवानिवृत हुए तो उनके मन में शरीर दान करने का विचार आया। लेकिन इस विचार को सार्थक होने में आठ वर्ष का समय लगा। पांवटा की एकता कालोनी के रहने वाले वेद प्रकाश का यह भी कहना है कि भगवान ने सब कुछ दिया है। एक बेटा-एक बेटी सैटल हैं।
पत्नी श्यामा शर्मा भी स्वास्थ्य विभाग से ही सेवानिवृत हुई हैं। उनका कहना है कि उनके शरीर के कंकाल को भी शोध के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि वेद प्रकाश ने अंगदान को लेकर कोई औपचारिकता पूरी नहीं की है, लेकिन वह चाहते हैं कि कोई प्रस्ताव मिले तो वह तुरंत हस्ताक्षर कर दें। उनकी बेटी डॉ. दीप्ति शर्मा हरियाणा के करनाल में विवाहित हैं, जबकि बेटा अमित शर्मा भी उत्तराखंड में अच्छी नौकरी कर रहा है।