ऊना, 29 नवंबर: हिमाचल में स्वास्थ्य विभाग का हैरतअंगेज़ कारनामा सामने आया है। डीसी ऑफिस में पटवारी के पद पर तैनात 28 वर्षीय महिला को बिना सैंपल लिए पॉजिटिव करार दे दिया। हालांकि इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने सैंपलिंग के दौरान व्यवस्था का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया है। घटनाक्रम के बाद डीसी ऑफिस में तैनात 20 कर्मचारियों को मात्र तीन दिन के भीतर दूसरी बार कोविड टेस्ट से गुजरना पड़ेगा। क्योंकि इस बात का पता नहीं है कि असल में किस कर्मचारी की रिपोर्ट पॉजिटिव है।
डीसी कार्यालय में तैनात एक कर्मचारी के कोविड-19 संक्रमित पाए जाने के बाद तमाम कर्मचारियों और अधिकारियों का कोविड टेस्ट अनिवार्य किया गया। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा कर्मचारियों और अधिकारियों की आईडी जेनरेट की गई। रीजनल अस्पताल में लिए गए सैंपल के दौरान महिला कर्मचारी को सैंपल के लिए आवाज लगाई गई। महिला कर्मचारी के नाम पर कोई और सैंपल दे गया। शनिवार देर रात पीसीआर के तहत टांडा मेडिकल कॉलेज से आई रिपोर्ट में महिला कर्मचारी को संक्रमित मरीजों की लिस्ट में शामिल कर लिया गया।
स्वास्थ्य विभाग ने महिला कर्मचारी से संपर्क कर उसे संक्रमित पाए जाने की सूचना दी। तो महिला कर्मचारी सन्न रह गई। दरअसल महिला ने सैंपल दिया ही नहीं था। ऐसे में उसे संक्रमित करार देना महिला के लिए भी चिंता का विषय बन गया।
रविवार सुबह मामला सामने आने के बाद डीसी राघव शर्मा ने सीएमओ डॉ रमन कुमार शर्मा के साथ बातचीत कर मामले की जांच पड़ताल की। जिसमें महिला के नाम की आवाज दिए जाने के दौरान किसी और द्वारा सैंपल दिए जाने की बात सामने आई। अब ऐसे में जो सैंपल पॉजिटिव पाया गया है, वह किसका है, यह भी स्वास्थ्य विभाग को पता नहीं है। इसी संदेह को दूर करने के लिए कर्मचारियों के दोबारा सैंपल जुटाए जाने के निर्देश जारी किए गए हैं। बहरहाल इस मामले ने हिमाचल में कोविड की सैंपलिंग के तरीके को लेकर सवाल खड़े कर दिए है।
डीसी राघव शर्मा ने बताया कि इस गलतफहमी के चलते बिना सैंपल दिए महिला को पॉजिटिव करार दिए जाने का मामला सामने आया है। यदि सैंपल पॉजीटिव पाया गया है तो निश्चित रूप से कोई कर्मचारी संक्रमण की चपेट में है, इसी संक्रमित कर्मचारी को ढूंढने के लिए उन सभी कर्मचारियों के दोबारा सैंपल लिए जाएंगे, जिन्होंने शुक्रवार को रीजनल अस्पताल ऊना में कोविड-19 जांच के लिए सैंपल दिए थे।