शिमला, 26 नवंबर : 26/11 आतंकी (Terrorist Attack) हमले के 12 साल पूरे होने पर देश भर में ऑपरेशन ब्लैक टोरेंडो (operation Black Tornado) के जांबाजो को नमन किया जा रहा है। मगर इसी बीच एक बेहद ही पीड़ादायक व शर्मनाक (Shameful) बात भी सामने आई है। इसके मुताबिक हिमाचल में ऑपरेशन के रियल हीरो “ब्रिगेडियर(Retired) गोविंद सिंह सिसोदिया” की ही अनदेखी की जा रही है। ये वो ही शख्सियत है, जिन्होंने आतंकी अजमल कसाब से पूछताछ भी की थी।
शायद, आप ये तो जानते हों कि इस ऑपरेशन के मुखिया (Chief) की भूमिका हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के चौपाल के एक छोटे से गांव भरनो के रहने वाले बेटे ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया (Brigadier Govind Singh Sisodia) ने निभाई थी। लेकिन आपको इस बात को जानकर गुस्सा आ सकता है कि सेवानिवृत ब्रिगेडियर(Retired) सिसोदिया को इन 12 सालों में सरकार ने एक बार भी सम्मानित (Honour) नहीं किया। दीगर बात यह भी है कि गांव व परिवार के लोग राज्य में काबिज सरकारों को इस मसले पर अप्रोच (Approach) कर चुके हैं।
26/11 की 12वीं बरसी पर ऑपरेशन के दौरान एनएसजी के डीआईजी(DIG of NSG) के पद पर तैनात ब्रिगेडियर सिसोदिया ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से लंबी बातचीत की। इस दौरान बातचीत में उनकी इस बात को लेकर पीड़ा साफ झलक रही थी कि वो अपने प्रदेश के लिए जो करना चाहते थे, वो नहीं कर पा रहे हैं। अलबत्ता, बेहद ही विनम्रता से इस बात को कहा कि हो सकता है कि सरकार की पाॅलिसी (Policy) में ऐसा न हो। उन्होंने क्रमवार तरीके से उस खौफनाक रात का खुलासा भी किया, जब वो दिल्ली में घर पर थे। बोले, पत्नी दूसरे कमरे में थी ओर वो खुद टीवी देख रहे थे। मुंबई हमला एक गैंगवार (Gang war) प्रतीत हुआ, लेकिन कुछ देर बाद पूरी स्थिति साफ हुई। साथ ही उन्हें रात को ही पैकअप (Pack up) कर मुंबई रवानगी के लिए एयरपोर्ट (Airport) पहुंचने के आदेश मिले।
क्या ये सच.
एक सवाल के जवाब में ब्रिगेडियर सिसोदिया ने माना कि उस रात वो पत्नी को बगैर बताए ही घर से निकल गए थे। बेटा अभिमन्यु उस समय पुणे में एमबीए (MBA) कर रहा था। पत्नी को ऑपरेशन(Operation) पर निकलने की जानकारी सुबह मिली तो बेटे को दोस्तो ने बताया कि उसके पापा टीवी पर हैं। बताते हैं, 1987 में श्रीलंका में एक आतंकी हमले में घायल हुए थे। इसकी जानकारी भी परिवार को नहीं दी थी, क्योंकि फौजी(Soldier) अपने परिवार से बढ़कर देश को समर्पित होता है। उन्होंने बताया कि 26/11 के हमले में वो तीन दिन तक लगातार जागते रहे थे। उल्लेखनीय है कि मुंबई हमले पर सफल ऑपरेशन के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा मैडल भी दिया गया था।
ये है परिचय…
1975 में 16 सिख रेजीमेंट (Sikh Regiment) से भारतीय सेना में अपना कैरियर शुरू किया। मंडी के सरकारी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद आगे की पढ़ाई शिमला में की। करीब 35 साल तक भारतीय सेना का हिस्सा रहे। देहरादून में सैटल (Settle) हो चुके ब्रिगेडियर सिसोदिया मुंबई हमले के दौरान एनएसजी के डीआईजी थे।
ये भी नहीं भूलते…
26/11 के आतंकी हमले में ब्रिगेडियर उस पल को भी नहीं भूलते, जब एक मीडिया कर्मी ने उनकी पत्नी नीरजा सिसोदिया से ये पूछ लिया था कि आपकी ब्रिगेडियर साहब से अंतिम बार कब बात हुई है। उस समय कुछ देर के लिए परिवार ने यही सोच लिया था कि वो शहीद हो चुके हैं।
बहरहाल, कमाल की बात यही है कि पूरी दुनिया में अपनी जांबाजी के लिए पहचान रखने वाला लाल अपने ही पैतृक प्रदेश में अनदेखी का सामना कर रहा है। ऑपरेशन को चलाने के लिए ब्रिगेडियर सिसोदिया को कई सम्मानों से नवाजा गया। उन्होंने अनुभवों को अंतरराष्ट्रीय स्तर (International Level) पर भी कई बार सांझा किया। पूर्व सैन्य अधिकारी ने इस हमले को लेकर एक डाॅक्यूमेंट्री (Documentary) में भी जानकारी दी थी, जिसे जर्मनी (Germany) व यूरोप (Europe) में रिलीज किया गया था।