हमीरपुर, 25 नवंबर: हिमाचल के हमीरपुर के मूल निवासी गौरव शर्मा ने पहले न्यूजीलैंड (New Zealand) में सांसद बनकर इतिहास बनाया, वही अब संस्कृत (Sanskrit) में शपथ (Oath) लेकर विदेशी धरती पर भारत का मान बढ़ाया है। इससे देश के साथ-साथ हिमाचल का नाम रोशन हुआ है। विदेशी धरती पर संस्कृत में शपथ लेने वाले गौरव शर्मा पहले भारतीय (First Indian) बने है। उलेखनीय है कि डॉक्टर गौरव शर्मा मुलत: हमीरपुर के गलोड़ के निवासी है। हाल ही में हरेक हिमाचली उस समय गौरवान्वित महसूस कर रहा था जब डॉ. गौरव शर्मा ने न्यूजीलैंड में सांसद चुने गए थे।
कौन है डॉ. गौरव शर्मा…?
हमीरपुर के हड़ेटा गांव से ताल्लुख रखने वाले गौरव 12 साल की उम्र में वे अपने पिता के साथ न्यूजीलैंड चले गए थे। पिता प्रदेश बिजली बोर्ड (Electricity Board) में एक्सईन (Executive Engineer) थे। उन्होंने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी इसके बाद परिवार सहित न्यूजीलैंड चले गए। वहां छह साल के लंब संघर्ष के बाद उन्हें नौकरी मिली। इस दौरान उन्होंने समाजिक सरोकार के कार्यो में हिस्सा लेने के अलावा टैक्सी चलाकर गुजारा किया।
साल 1996 में डॉक्टर गौरव शर्मा (Dr. Gaurav Sharma) के पिता जब परिवार सहित 250 डॉलर लेकर न्यूजीलैंड के लिए निकले थे तो उन्हें भी अंदाजा नहीं था कि उनका बेटा आने वाले समय में वहां की मौजूदा विपक्षी पार्टी की ओर से सांसद का चुनाव लड़ेगा। गौरव ने अपनी शुरुआती पढ़ाई शिमला पब्लिक स्कूल (Shimla Public School) और चेप्शली स्कूल से की। इसके बाद आधुनिक स्कूल धर्मशाला में दाखिला लिया। इसके बाद उन्होंने ऑकलैंड से ही डॉक्टरेट की पढ़ाई की।
डॉक्टरेट की पढ़ाई के दौरान गौरव ने जलवायु परिवर्तन का न्यूजीलैंड पर प्रभाव विषय (Subject) पर एक प्रेजेटेशन(Presentation) दी, जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड (University of Auckland) में पहला पुरस्कार मिला। बाद में उन्हें वर्ल्ड हैल्थ आर्गेनाइजेनश (World Health Organization), जनेवा के साथ काम करने का भी मौका मिला। इस दौरान उन्होंने पब्लिक हैल्थ(Public Health) से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स (Projects) में काम किया। बाद में उन्हें च्यंग न्यूजीलैंड ऑफ ईयरज् के सम्मान के लिए मनोनित किया गया था।