शिमला, 24 नवंबर : हिमाचल प्रदेश के पालमपुर उपमंडल के “गोपालपुर जू” में करीब साढे़ 5 साल की शेरनी ‘अकीरा’ ने जुड़वां शावकों (Twin Cubs of Lion) को जन्म दिया है। राज्य में लंबे अरसे बाद ये मौका रविवार तड़के सामने आया। हर कोई शेर के शावकों के जन्म पर रोमांचित व उत्साहित है।
हालांकि इस समय कोई भी कर्मचारी “अकीरा” के समीप नहीं जा सकता है, लिहाजा सीसी कैमरों(CC Camera) से हर पल निगरानी (Monitoring) रखी जा रही है। फिलहाल नन्हें शावकों ने आंखें नहीं खोली हैं। उम्मीद की जा रही है कि अगले 3 या 4 दिन में करीब साढे़ 10 वर्षीय शेर हेमल के शावक आंखें खोल देंगे। अच्छा संकेत यह है कि अकीरा ने अपने शावकों (Cubs) को खुद से अलग नहीं किया है। फीडिंग करवा रही है। यह अलग बात है कि विभाग ने कृत्रिम तरीके (Artificial Method) से भी शावकों(Cubs) को फीड(feed) करवाने की तैयारी कर रखी थी।
दिलचस्प बात यह है कि एक सप्ताह पहले तक भी वन्य प्राणी विभाग(Wild Life Department) को इस बात का कतई भी इल्म नहीं था कि अकीरा द्वारा जुड़वां शावकों को जन्म दिया जाएगा। पता चलने के बाद अंदाजा लगाया जा रहा था कि 26 नवंबर को अपने शावकों को जन्म दे सकती है।
आपके जहन में एक सवाल यह भी कौंध रहा होगा कि अकीरा ने नर या फिर मादा किसे जन्म दिया है। फिलहाल लिंग को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है। चंद रोज में पता चलेगा कि नन्हें मेहमानों के तौर पर शेर आए हैं या फिर शेरनियां। क्योंकि इस समय नज़दीक जाना बेहद घातक हो सकता है।
दीगर है कि हाल ही में प्रदेश के वन्यप्राणी विभाग ने उस समय भी बड़ी उपलब्धि (Achievement) अर्जित की थी, जब सराहन (रामपुर) से जजुराना (Westren Tragopan) की टोली को खुली हवाओं में आजाद छोड़ दिया गया था। अब कुछ समय के अंतराल पर सफलतापूर्वक हेमल व अकीरा के जुड़वां शावकों के जन्म से एक ओर उपलब्धि अर्जित की गई है।
2019 की सर्दियों में गुजरात के जूनागढ़ से हेमल व अकीरा के जोड़े को लाया गया था। एशियटिक प्रजाति के जोड़े ने गोपालपुर में वंश वृद्धि की है। गोपालपुर से पहले रेणुका लाॅयन्स सफारी में भी शावकों का जन्म होता रहा है। 1978 में त्रिचुर से एषियटिक प्रजाति के जोड़े को लाया गया था। एक समय तक यहां शेरों की संख्या 30 तक भी पहुंच गई थी, लेकिन बाद में ये पाया गया कि एक ही वंष के आंतरिक प्रजनन (Inbreeding) के कारण कई वंशानुगत बीमारियां हो रही हैं। लिहाजा, केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority) ने 1995 के आसपास शेरों के प्रजनन (Breeding) पर रोक लगा दी थी। अप्रैल 2015 में निशू की मौत के बाद रेणुका जी लाॅयन सफारी (Renuka Lion Safari) शेरों की दहाड़ से सुनसान हो गई। इसके बाद एक शेर को छतबीर जू शिफ्ट किया गया था, जबकि दो को गोपालपुर भेजा गया था। गोपालपुर में बाद में श्रीे रेणुका जी से भेजे गए शेरों की मौत हो गई थी। माना यह भी जा रहा है कि हिमाचल में लंबे अरसे बाद शेर के शावकों का प्रजनन हुआ है।
उधर वाइल्ड लाइफ के डीएफओ राहुल रोहाणे ने कहा कि रविवार की सुबह नन्हें मेहमान आए हैं। इनकी देखभाल(Take Care) के लिए जूनागढ़ से एक्सपर्टस (Experts) की राय ली जा रही है। साथ ही सीसी कैमरों से निगरानी हो रही है। उन्होंने माना कि अच्छी बात ये है कि अकीरा खुद फीड(Self Feeding) करवा रही है। शेरनी (Lioness) अकीरा की डाईट को लेकर सवाल पर डीएफओ (Divisional Forest Officer) ने कहा कि बकरे के मीट के अलावा चिकन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सब कुछ ठीकठाक चल रहा है। चंद रोज में लिंग (Sex determination) को लेकर भी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।