नाहन,11 नवंबर : क्या आप जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश में वाहनों को सेनिटाइज (Sanitize) करने वाली 15 लाख से निर्मित टनल (Tunnel) को तोड़ दिया गया है, अब इसका मलबा (Debris) स्क्रैप (Scrap) में बेचा जा रहा है। 18 अप्रैल को दिल्ली मॉडल (Delhi Model) से कॉपी कर आनन-फानन (In hurry) में इस सुरंग का निर्माण पावंटा साहिब के गोविंद घाट प्रवेश द्वार (Govindghat Barrier) पर किया गया था।
औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब एथेंस लाइफ साईंसिस (Athens Life Sciences) कंपनी को इसका सेहरा पहनाया गया। प्रशासन ने दावा किया था कि कंपनी द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Corporate social responsibility) के तहत इस सुरंग का निर्माण किया गया है। सुरंग को ध्वस्त (Dismantal)) करने के बाद प्रश्न यह भी पैदा हो रहा है कि क्या कंपनी ने सीएसआर (CSR) के तहत इसका फायदा लिया है या नहीं।
बता दें कि सीएसआर के तहत उद्योगों को सामाजिक कार्य करने की बाध्यता (Obligation) होती है। इसके अलावा इस बात पर सस्पेंस है कि टनल का स्क्रैप बेचकर आमदनी (income) किसे मिलेगी। होना तो यह चाहिए कि स्क्रैप से मिलने वाली राशि को जिला रेडक्रॉस सोसायटी (District Red Cross Society) के हवाले किया जाए, क्योंकि कंपनी द्वारा सीएसआर में इसका फायदा लिया चुका है।
लाजमी तौर पर अब आपके जहन में यह सवाल उठ रहा होगा कि इस सुरंग को क्यों तोड़ा गया। दो बातें हैं, पहली यह कि मौके पर सुरंग का कोई फायदा (Benefit) नजर नहीं आ रहा था, बल्कि इसके विपरीत ट्रैफिक (Traffic) को संचालित करने में समस्या पैदा हो रही थी।
पांवटा साहिब में प्रदेश की पहली सेनीटाईज़िंग टनल का शुभारंभ..
टनल के निर्माण से हाईवे संकीर्ण (Highway narrow) हो गया था। दूसरे तर्क दिया जा रहा है कि सुरंग को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए एक महीने में ढाई लाख रुपए का खर्चा आ रहा था, इसमें प्रत्येक वाहन को सेनिटाइज करने के लिए 1% हाइपोक्लोराइट (Hypochlorite) के अलावा कर्मचारियों का वेतन व बिजली बिल इत्यादि शामिल थे। रोचक बात यह है कि इन सब बातों को पहले नहीं सोचा गया।
अब तर्क दिया जा रहा है कि इस सुरंग को चलाने के लिए कोई भी आगे नहीं आया, साथ ही सरकार ने भी उस प्रस्ताव को ख़ारिज (dismissed) कर दिया, जिसमें वाहनों से सेनिटाइजेशन की एवज में वसूली करने का आग्रह किया गया था। 20 फुट ऊंची, 16 फुट चौड़ी और 20 फुट लंबी सुरंग के निर्माण से यातायात (transportation) की समस्या बन गई थी, क्योंकि इसने राजमार्ग (Highway) के एक बड़े स्थान पर कब्जा कर लिया था।
उधर पावंटा साहिब एसडीएम (SDM) एलआर वर्मा ने फोन नहीं उठाया। डीएसपी (DSP) वीर बहादुर ने माना कि सुरंग को हटा दिया गया है। इसी बीच एथेंस लाइफ साईंसिस के अनिल शर्मा ने कहा कि 10 दिन पहले टनल को हटा दिया गया है। उनका कहना था कि कुछ औद्योगिक इकाइयों (Industrial units) द्वारा इसे बनाया गया था, लिहाजा स्क्रैप भी इकाइयां ही डिस्पोज (Dispose) करेंगी। उन्होंने कहा कि सीएसआर को लेकर कुछ नहीं कह सकते। उधर उद्योग विभाग के जीएम (General Manager) जीएस चौहान कहा कि इस बारे वो कुछ नहीं कह सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि सोलन के नालागढ़ अस्पताल में सबसे पहले ह्यूमन डिसइंफेक्टेड टनल (Human Disinfected Tunnel) का निर्माण ग्रामीण विकास विभाग (Rural development department) द्वारा किया गया था, लेकिन बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बात का अलर्ट जारी किया था कि हाइपोक्लोराइट का छिड़काव घातक (fatal) हो सकता है, लिहाजा टनल को हटा दिया गया था। बाद में इस कंसेप्ट (Concept) को वाहन सेनिटाइजेशन के लिए करने का फैसला लिया गया।
दीगर है कि इस टनल का निर्माण सिरमौर के डीसी (DC) डॉ आरके परुथी द्वारा करवाया गया था। दलील थी कि उत्तराखंड की तरफ से आने वाले महज पांच मिनट में सेनिटाइज हो जाएंगे। अब रोचक बात ये है कि निर्माण के दौरान तो जमकर वाहवाही लूटी गई। वहीं अब टूटने की भनक किसी को नहीं लगने दी गई।