सोलन, 02 नवंबर : इस समय सोलन में नगर निगम का मुद्दा गरमाया हुआ है, जहां एक तरफ सोलन को नगर निगम का दर्जा मिलने से सोलन शहर के लोगो में ख़ुशी की लहर है तो वहीं सोलन नगरनिगम में सम्मिलित की गई आठ पंचायतों के 84 गांव के लोग आज नगर निगम के विरोध में सड़को पर उतरे और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सोलन के पीडब्लूडी रेस्ट हाउस से मिनी सचिवालय तक रैली निकालकर हजारों ग्रामीणों ने नगर निगम का विरोध किया।
ग्रामीणों ने कहा की उन्होंने अपनी अप्पतिया दर्ज करवाई थी, बावजूद इसके सरकार ने उनको नगरनिगम का दर्जा दे दिया। जिला सोलन मे यह प्रर्दशन नगरनगिम को बनाने के विरोध है। आठ पंचायतो सहित अन्य पंचायतों के लोग भी इस प्रर्दशन मे सरकार के खिलाफ है व मांग कर रहे है, कि उनकी पंचायतो को नगरनिगम से तुंरत हटाया जाये। महिला शक्ति इस प्रर्दशन मे पहली पंक्ति में देखने को मिली। महिला शक्ति का आरोप है कि वह अपने गांवो मे ही खुश है, किस से पुछ कर उन्हे नगर निगम में शमिल किया है। ग्रामीणों की सरकार को चेतावनी है कि आगामी चुनावों में वह भाजपा का बहिष्कार करेंगे व भाजपा को जबदरस्त पटखनी देंगे। मतदाता शक्ति का प्रयोग कर ऐसी तानाशाही वाली सरकार को जड से उखाडेगें।
बात करते हुए ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि वह नगरनिगम का पुरजोर विरोध करेगी व ऐसी सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी। यदि सरकार फिर भी नहीं मानी तो वह अनशन पर जाकर सड़कों पर उग्र प्रर्दशन करेगी। निश्चित तौर पर सरकार के लिए सोलन को नगरनिगम बनाना गले की फांसी बन गयी है क्योंकि अधिकतर लोग नगरनिगम के विरोध में एकजुटता से खडे है। सरकार यदि इस फैंसले को वापिस नहीं लेती तो इस बात को कहनें मे कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि सरकार को इसका खामियाजा कही न कही भुगतना पड़ सकता है।