शिमला, 25 अक्तूबर : पूर्व भाजपा सांसद व धूमल सरकार में कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) रहे राजन सुशांत ने अपनी नई पार्टी की घोषणा की। उन्होंने अपनी पार्टी का नाम “हमारी पार्टी हिमाचल पार्टी” रखा है। राजधानी शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता (Press talk) में पार्टी के नाम के एलान के दौरान राजन सुशांत के साथ बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।
राजन सुशांत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी इसु बेसड पार्टी होगी और संघर्ष करने वाले कर्मठ व स्वच्छ छवि वाले कार्यकर्ताओं को पार्टी में जगह मिलेगी। कहा कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव (Assembly elections) में उनकी पार्टी सभी 68 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और राज्य में अगली सरकार उनकी पार्टी बनाएगी।
सुशांत ने आगे कहा कि उनकी पार्टी संघर्ष व आंदोलन के लिए बनी है। आगामी छह माह में पार्टी का संगठन मजबूत किया जाएगा। तीन महीनों में पार्टी सभी 68 हलकों में कमेटियों का गठन कर देगी। इसके अलावा उनकी पार्टी धरातल पर काम करते हुए पंचायतों व गांवों में जाकर मोहल्ला कमेटियों भी बनाएगी।
उन्होंने कहा कि सत्ता में आते ही 2 लाख बेरोजगारों को रोजगार देना, हिमाचल को कर्ज व भ्रष्टाचार मुक्त करना तथा स्वावलम्बी हिमाचल बनाना उनकी प्राथमिकता रहेगी। पूर्व सांसद ने कहा कि हिमाचल में भाजपा व कांग्रेस सत्ता में काबिज होती रही हैं और इन दोनों दलों ने हिमाचल के हितों को बेचने का काम किया है। प्रदेश को कर्जदार बना दिया गया है तथा लोगों को लँगड़ा रोजगार दिया है। इन हालातों में राज्य में नई पार्टी बनाने की जरूरत पड़ी है।
राजन सुशांत ने कहा कि पार्टी के गठन के बाद पहला आंदोलन अगले साल अप्रैल माह में ओल्ड पेंशन बहाली की मांग को लेकर किया जाएगा। इसके बाद सीमेंट के बढ़ते दामों पर आंदोलन होगा। हिमाचल में तीन सीमेंट कम्पनियों के कारखाने होने के बावजूद यहां पड़ोसी राज्य से सीमेंट महंगा है और राज्य सरकार कहती है कि सीमेंट के दामों को नियंत्रित करने के लिए अभी कानून ही नहीं बना है। उन्होंने सरकार को चेताया कि विस के शीतकालीन सत्र में इस पर कानून नहीं लाया गया, तो उनकी पार्टी बड़ा आंदोलन करेगी।
उन्होंने सरकार से ओल्ड पेंशन स्कीम को जल्द बहाल करने की मांग की और कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं कर सकती तो पूर्व सासंदों व पूर्व विधायकों की भी पेंशन बन्द कर देनी चाहिए। प्रेस वार्ता के दौरान राजन सुशांत ने पूर्व सीएम शांता कुमार को निशाने पर लिया। उन्होंने शांता कुमार का नाम लिए बिना कहा कि वे सिद्धान्तवादी होने का दावा करते हैं, लेकिन उन्होंने भी अपनी पेंशन नहीं छोड़ी।