शिलाई , 21 अक्तूबर : जहां न पंहुचे सरकारी ताऊ, वहां पहुचे बड़का भाऊ। यह कहावत धर्मशाला के प्रख्यात समाजसेवी संजय शर्मा उर्फ़ बड़का भाऊ के लिए उनके चाहने वालों ने ईजाद की है। इस कहावत को संजय शर्मा ने कांगड़ा से सैंकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके जिला सिरमौर के दिव्यांग बिट्टू के लिये मददगार बनकर चरितार्थ कर दी है।
सिरमौर के ट्रांसगिरि के थुम्बाड़ी गांव का 24 वर्षीय बिट्टू पोलियोग्रस्त (Polio affected) है एवं चलने फिरने और बोलने में असमर्थ है। बिट्टू के पिता तोता राम पराशर अपने गाँव थुम्बाड़ी में ही मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण करते थे। मगर टीबी (Tuberculosis) की बिमारी से उनका निधन(Death) हो गया। जिसके बाद बिट्टू की मां सुन्नी देवी पर परिवार के पालन पोषण (Upbringing) का जिम्मा आ गया। मगर सुन्नी देवी भी कैंसर (Cancer) से लंबी लड़ाई के बाद करीब एक साल पहले जिंदगी की जंग हार गई। बिट्टू की दोनों बड़ी बहनों की शादी हो गई है। बिट्टू का छोटा भाई स्कूल में पढ़ता है। ऐसे में बिट्टू की देखभाल(Look after) करने वाला परिवार में कोई नहीं बचा है। अब दोनों शादीशुदा बहने ही बारी-बारी अपने घर ले जाकर उसकी परवरिश कर रही है।
बिट्टू की बड़ी बहन संतोष शर्मा ने बताया कि उसके ससुराल और मायके की आर्थिक(Finical) स्थिति (Condition) ठीक नहीं है। माँ बाप की मौत हो चुकी है और बिट्टू से छोटे वाला भाई अभी इस हालत में नहीं है कि वो उसकी देखभाल कर सके। संतोष के ससुराल में उसकी सासु माँ (Mother in Law) की एक हादसे (Mishap) में टांग टूट गई है, जिन्हें चलने-फिरने के लिए भी बैसाखियों (Crutches) का सहारा लेना पड़ता है। बिट्टू चलने-फिरने और स्वयं भोजन करने और शौच इत्यादि के लिए जाने में भी असमर्थ (Disable) है। घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब (Very Bad) होने की वजह से परिवार(Family) के सभी सदस्यों (Members) को खेतों में काम करने और दिहाड़ी (Daily wager) मजदूरी के लिए घर से बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में बिट्टू का सही से ख्याल रख पाना उनके लिए भी मुश्किल हो गया है। इन सब परिस्थियों (Circumstances) के बावजूद भी वो अपने भाई को खुद से अलग नहीं करना चाहती है। बिट्टू का इलाज (Treatment) संभव है, मगर इसके लिए उनके परिवार के पास पैसे नहीं है। बिट्टू का एक अन्य भाई भी पोलियों(Polio) से ग्रस्त था और बिट्टू की तरह दिव्यांग था। मगर वो कुछ वर्ष पहले जिंदगी की जंग हार चुका है।
धर्मशाला निवासी समाजसेवी संजय शर्मा (Sanjay Sharma) उर्फ़ बड़का भाऊ (Badka Bhau) ने बताया कि आज से बिट्टू को छोटा भाई माना है। बड़ा भाई होने के नाते बिट्टू के उपचार (Treatment) और देखरेख का सारा जिम्मा अब टीम बड़का भाऊ का है। उन्होंने सरकारी सिस्टम (Government System) को लताड़ लगाते हुए कहा कि अगर बिट्टू को समय रहते उपचार मिला होता तो आज बिट्टू भी एक सामान्य इंसान की तरह जिंदगी जी रहा होता। उन्होंने तल्ख़ लहजे में कहा कि सरकार अपनी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति (Last beneficiary) तक पंहुचाने की डींगे हाँकती है। बिट्टू की हालत को देखते हुए सरकार बताये कि उसकी नजर में वह आखिरी व्यक्ति कौन है, जिस तक योजनाएं पंहुचाने के बड़े-बड़े दावे किये जाते है। उन्होंने बिट्टू को उपचार और देखरेख के लिए फिलहाल किसी अच्छे संस्थान (Instituion) में ले जाने का निर्णय लिया है।