ऊना 9 अक्तूबर: मुख्यालय के नजदीकी गांव जनकौर हार में एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। इस परिवार में अब दो बेटियां और एक बेटा ही रह गए है। जिनके सिर से करीब 7 साल पहले पिता का साया उठ गया था। वही महज 45 वर्ष की उम्र में मां के निधन ने जहां बच्चों को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया है। वहीं उनके सामने अब जीवन यापन भी एक चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। परिवार के बच्चों में सबसे बड़ी बेटी की उम्र जहां महज 19 वर्ष है, वही परिवार को संभालने की जिम्मेदारी उठाने वाला भाई अभी 17 साल का है, जो तीन बहन भाइयों में सबसे छोटा है।
7 साल पहले इस परिवार पर आई विपदा के दौरान परिवार के मुखिया राम किशन की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। जिसके बाद पत्नी सुनीता ने जैसे-तैसे परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी संभाली और आंगनबाड़ी में सेवाएं देते हुए अपने तीनों बच्चों की शिक्षा और उनके पालन पोषण के लिए जद्दोजहद में जुट गई। किसी तरह से जिंदगी की चुनौतियों से जूझते हुए यह परिवार आगे बढ़ता जा रहा था। इसी बीच परिवार की जिम्मेदारी संभाल रही सुनीता की सेहत भी लगातार गिरती चली गई। इसी बीच 5 अक्टूबर की रात सुनीता ने भी क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में बीमारी से जूझते हुए दम तोड़ दिया। मां की मौत के बाद अब तीनों बच्चों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। पिता की मौत के सदमे को मां के सहारे जीने वाल तीनों बच्चों के लिए अब मां की मौत का सदमा सहने के लिए हिम्मत नहीं बची है। परिवार पर आई इस विपदा से न केवल इन बच्चों के सिर से माता- पिता का साया पूरी तरह से उठ गया है। वहीं अपने पेट भरने की चिंता भी सताने लगी है।
परिवार की सबसे बड़ी बेटी 19 वर्षीय ऋषिता पीजी कॉलेज ऊना में बीए कर रही है। जबकि उसकी छोटी बहन अंशिता की उम्र महज अभी 18 साल है। वही 17 साल का सबसे छोटा भाई आर्यन जमा दो में शिक्षा ग्रहण कर रहा है। फिलहाल परिवार के सगे संबंधी बच्चों के साथ हैं, लेकिन सुनीता की कर्म किराया और धर्म शांति के बाद अपन-अपने घरों को लौट जाएंगे। जिसके बाद बच्चों के लिए न केवल अपनी शिक्षा बल्कि रोज़ी रोटी के लाले पड़ जाएंगे। ऐसे में इन बच्चों के भरण-पोषण और शिक्षा कैसे आगे बढ़ेगी, यह इनके लिए चिंता का विषय बन गया है।