नाहन, 26 सितंबर : शनिवार को पांवटा साहिब में 12 नौनिहालों को भिक्षावृति (Begging) से आजादी मिली। इसमें अहम बात यह है कि ये बच्चे प्रवासी (Migrant) नहीं हैं, बल्कि क्षेत्र के ही रहने वाले हैं। माता-पिता ने इस बात से इंकार(Refuse) किया कि उन्होंने बच्चों को शनिदान मांगने के लिए भेजा था। बच्चों (child) ने भी यही बयान दिया है कि वो अपनी मर्जी (willingly) से गए हैं। रेस्क्यू (Rescue) किए गए बच्चों में चार लड़कियां(Girls) भी शामिल हैं।
दरअसल, ये बच्चे शनिदान मांगने के लिए हाथ में मूर्ति(Idol) व तेल इत्यादि लेकर भीख(Begging) मांग रहे थे। इन्हें बद्रीपुर व बांगरण चौक से रेस्क्यू (Rescue) कर तुरंत ही बाल कल्याण समिति(child welfare committee) के समक्ष पेश किया गया। इसके बाद बच्चों के अभिभावकों (Parents) के आने के बाद दस्तावेज की जांच करने के बाद अभिभावकों को लेबर व बैगिंग एक्ट (Labor and Bagging Act) के बारे में जानकारी भी दी गई। इस शर्त पर बच्चे उन्हें सौंपे गए कि वो दोबारा बच्चों को भिक्षावृति (Begging) नहीं करने देंगे। साथ ही उन्हें स्कूल भी भेजेंगे।
चाइल्ड लाइन (Child helpline) ने भी बच्चों की सहूलियत(Facility) के मद्देनजर बाल कल्याण समिति के कोर्ट को भी गृुरूद्वारे में ही लगाया। इस दौरान टीम में चाइल्ड लाइन की समन्वयक सुमित्रा शर्मा, सदस्य निशा, परीक्षा, रामलाल व राजेंद्र सिंह भी मौजूद रहे। रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue operation) के दौरान बाल कल्याण समिति के सदस्य नसीम दीदान, सपना सोलंकी व सहायक परमीत ने भी भूमिका निभाई। इसके अलावा डीसीपीयू (DCPU) के सह काउंसलर प्रवीण अख्तर, महिला थाना से लेडी कांस्टेबल लक्ष्मी शर्मा, कांस्टेबल जागर सिंह, सुभाष व होमगार्ड जवान क्षमादत्त की मौजूदगी भी इस रेस्क्यू ऑपरेशन में सुनिश्चित की गई।