सोलन, 25 सितंबर : केंद्र व राज्य सरकार बेटी बचाओ व बेटी पढ़ाओ के साथ-साथ स्वच्छता अभियान के बड़े-बड़े ढोल पीटती (drum beating) है, मगर सरकार का सिस्टम (System) इस बात को उजागर (Suraface) नहीं करता है कि धरातल (Ground) पर इन अभियानों के असल हीरो (Real Hero) कौन है, जो निस्वार्थ भाव (Selfless service) से इन मूल्यों की कसौटी पर खरा उतर रहे हैं। खास बात यह है कि दम्पति को सरकार से पहले और न ही अब भी कोई शिकायत है। हम आपको सोलन जिला के सुबाथू (Subathu) क्षेत्र में एक ऐसे गरीब दंपति (Poor couple) की दास्तां से रूबरू करवा रहे हैं, जिनके बारे में जानकर आप उन्हें लाजमी (Pertinent) तौर पर बेटी बचाओ व बेटी पढ़ाओ के साथ-साथ स्वच्छता अभियान का असल ब्रांड एंबेस्डर (Brand Ambassador) कहेंगे।
धर्मपुर से सुबाथू मार्ग पर एक पंचायत है रोड़ी। इस पंचायत में चंद बीघा भूमि के दम पर खेती कर एक दंपति ने पांच बेटियों (Daughters) का कन्यादान (Kanyadaan) किया। चार बेटियां अपने ससुराल में सही तरीके से सेटल (Settle) हो गई, लेकिन एक बेटी पारिवारिक (family reasons) कारणों से अपने मायके(Parental house) लौट आई। यही नहीं मायके लौटी बेटी की भी दो बेटियां हैं, लेकिन बुजुर्ग गरीब दंपति (Old couple) निर्मला व चैन सिंह ठाकुर के चेहरे पर मामूली सा भी शिकन (wrinkle) नहीं आया। हालांकि घर लौटी बेटी भी दिहाड़ी कर कुछ कमाने (Earning) का प्रयास करती है, लेकिन बुजुर्ग दंपति ने भी अपने स्वाभिमान (Self respect) को कायम रखते हुए जीवन के संघर्ष (Struggle) को जारी रखा है।
आप जानकर हैरान होंगे कि उम्र के तकाजे की वजह से खेत में काम नहीं कर सकते थे, उन्होंने 25000 के कर्जे से एक रेहड़ी (Hawker) व कुछ सामान खरीद कर सड़क किनारे (Road side) एक चाय की अस्थाई दुकान (Tea stall) बनाई है। इत्तफाक (coincidence) था कि एमबीएम न्यूज नेटवर्क भी दंपति के पास चाय के प्याले के लिए पहुंचा तो यह मार्मिक (Touching) व प्रेरणादायक (Motivational) दास्तां सामने आ गई। कमाल की बात यह थी कि दंपत्ति की दुकान में सफाई (Cleanness) की ऐसी व्यवस्था थी, जो शायद बड़े-बड़े होटल व रेस्टोरेंट (Restaurant) भी नहीं रख पाते होंगे। एक ग्राहक ने चिप्स के पैकेट (Packet) को खोलने के बाद छोटा सा टुकड़ा वहां फेंका तो बुजुर्ग महिला ने टोकने (Object) में मामूली सा भी संकोच नहीं किया। मजबूरन ग्राहक को वह रैपर (Rapper) नीचे से उठाकर कूड़ेदान (Dustbin) में डालना पड़ा। चाय का स्वाद भी इस कदर बेमिसाल है कि मानो उन्होंने अपना पूरा स्नेह इसमें उड़ेल दिया हो।
बहरहाल आपको इस बात पर सहमत होना पड़ेगा कि पांच बेटियों के कन्यादान के बाद दोबारा एक बेटी व दो दोहतियों की जिम्मेदारी को निभा रहे हैं। साथ ही स्वच्छता को लेकर भी अलख जगाने में कोई कोर कसर नहीं रख रहे हैं। ये भी इत्तफ़ाक़ देखिए, सुबाथू मार्ग पर बेटी बचाओ व बेटी पढ़ाओ के दर्जनों बोर्ड (Sign board) लगे हुए हैं, एक बोर्ड बुजुर्ग दंपति की अस्थाई दुकान के सामने भी है, जो इस नारे (slogan) को सार्थक साबित करता दिख रहा है। मगर सामने से गुजरने वाला शायद ही इस बात को जानता हो कि इसके असल ब्रांड एंबेस्डर सामने ही बैठे हैं।
अब सवाल यह उठता है कि इस दंपति को बीपीएल (below poverty line) का लाभ क्यों नहीं मिला। साथ ही प्रशासन ऐसे लोगों सामने क्यों नहीं ला पाता, ताकि समाज में बाकी लोगों को भी प्रेरणा (Motivation) मिल सके। निश्चित तौर पर ग्रामीण पंचायती राज की व्यवस्था के अलावा आंगनबाड़ी व आशा वर्कर ऐसी कड़ियां है जो प्रशासन (Administration) तक ऐसे लोगों की दास्तां को सामने ला सकते हैं। बातचीत के दौरान बुजुर्ग महिला का कहना था कि उन्हें इस बात की चिंता (Anxiety) सताती है कि 25000 का कर्ज (loan) कैसे लौटा पाएंगे। अब खेत में काम करने की हिम्मत नहीं है, क्योंकि उम्र हो चुकी है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि शाम के वक्त वह अपने रेहड़ी को घर ले जाते हैं। सुबह दोबारा वही जद्दोजहद शुरू हो जाती है। बुजुर्ग महिला ने कहा कि बीपीएल का कोई लाभ (Benefit) आज तक नहीं मिला है। पंचायत में गई थी तो उन्हें आश्वासन (Assurance) मिला था, लेकिन कोई नतीजा नहीं आया। उनका कहना था कि आने वाले हरेक ग्राहक को स्वच्छता का संदेश देने का प्रयास करते हैं, कई लोग अच्छे भी होते हैं, जो खुद ही कूड़ेदान (Dustbin) का इस्तेमाल (Use) करते हैं। उनका कहना था कि रात के वक्त वह वहां नहीं होते तो सुबह काफी गंदगी मिलती है। उल्लेखनीय है कि जिस जगह दंपति द्वारा चाय का ठेला लगाया जाता है, वहां गोबर (Cow dung) की पुताई भी की जाती है। चाय को स्टील (Tea Stall) के गिलास में परोसा जाता है।
कुल मिलाकर प्रशासन (Administration) को सामने आकर ऐसे बुजुर्ग दंपति (Elderly couple) की इमदाद (Support) करनी चाहिए। साथ ही उन सरकारी योजनाओं (Government schemes) का लाभ दिया जाना चाहिए, जिसके लिए वह पात्र (Eligible) भी है, बहरहाल एमबीएम न्यूज नेटवर्क दंपति के हौंसले को सलाम करता है।