मंडी (विरेंद्र भारद्वाज): रिवालसर के चिडि़याघर में सांभर प्रजाति के जानवर की संख्या बढ़कर 47 हो गई है। एक ओर जहां इस प्रजाति के जानवरों की संख्या बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर बाकी प्रजाति के जानवरों की संख्या घटती जा रही है।
बता दें कि इस वक्त रिवालसर चिडि़याघर में मात्र 6 प्रजातियों के जानवर ही शेष रह गए हैं। रिवालसर का चिडि़याघर जहां पर्यटकों के लिए घूमने-फिरने का एक बेहतर स्थान है, वहीं यह चिड़ियाघर दिनोंदिन अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ता हुआ नजर आ रहा है।
बता दें कि इस वक्त रिवालसर चिडि़याघर में मात्र 6 प्रजातियों के जानवर ही शेष रह गए हैं। रिवालसर का चिडि़याघर जहां पर्यटकों के लिए घूमने-फिरने का एक बेहतर स्थान है, वहीं यह चिड़ियाघर दिनोंदिन अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ता हुआ नजर आ रहा है।
साढे चार हैक्टेयर के क्षेत्र में चल रहे रिवालसर के चिडि़याघर में मात्र 6 प्रजातियों के जानवर ही शेष रह गए हैं, जिनमें मुख्य रूप से भालू, चितल, सांभर, सैहल और घोरल शामिल है। सांभर को छोड़कर यहां पर किसी दूसरी प्रजाति के प्रजनन की कोई सुविधा मौजूद नहीं है। चितल, भालू और सैहल प्रजाति के सिर्फ नर जानवर ही यहां पर मौजूद है, जबकि इनकी मादाएं न होने के कारण इनकी संख्या बढ़ने की बजाए घटती जा रही है। वहीं अगर इससे हटकर सांभर प्रजाति के जानवरों की बात करें तो इसके प्रजनन का कार्य यहां पर जारी है।
इस वक्त रिवालसर चिडि़याघर में सबसे ज्यादा संख्या सांभर प्रजाति के जानवरों की है। सांभरों की संख्या 47 पहुंच गई है और संख्या धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही है। इस प्रजाति के अधिक जानवर होने के कारण इन्हें किसी दूसरे स्थानों पर शिफ्ट भी नहीं किया जा रहा है, जिससे रिवालसर चिडि़याघर के सही संचालन में काफी ज्यादा दिक्कतें पेश आ रही हैं। चिडि़याघर के डिप्टी रेंजर प्रेम चंद के अनुसार सांभर प्रजाति की संख्या में इतनी ज्यादा बढ़ोतरी होने से चिडि़याघर का मौजूदा स्थान कम पड़ता जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस सांभर प्रजाति के जानवरों को किसी दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने और बाकी प्रजातियों की मादाएं यहां लाने का प्रस्ताव विभाग के उच्चाधिकारियों को भेज दिया गया है। इसे विडम्बना ही कहा जाएगा कि रिवालसर के चिडि़याघर का सही ढंग से संचालन नहीं हो रहा है। विभाग और सरकार इस ओर विशेष ध्यान नहीं दे रहे हैं जिसका परिणाम यही निकल रहा है कि कुछ प्रजातियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है तो कुछ प्रजातियां यहां से मिटने की कगार पर नजर आ रही हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि राज्य सरकार रिवालसर चिडि़याघर की ओर विशेष ध्यान देकर इसे और ज्यादा आकर्षक बनाने की दिशा में प्रयास करेगी।