नाहन, 19 सितंबर : राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority) मिशन के तहत जिला प्राधिकरण द्वारा उपमंडलीय विधिक सेवा समिति ने वेबिनार का आयोजन गुगल मीट के माध्यम से नाहन व संगड़ाह उपमंडल के पंचायत प्रतिनिधियों के साथ न्यायिक शक्तियों की जागरूकता के उद्देश्य से किया गया। इसमें हिमाचल प्रदेश पंचायतीराज अधिनियम 1994 (Himachal Pradesh Panchayati Raj Act) के तहत ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों को न्यायिक शक्तियों (Legal Powers) के बारे अवगत करवाया गया। इसमें दोनों उपमंडलों के पंचायत प्रतिनिधियों के अलावा सचिव ने हिस्सा लिया।
एक सत्र में बताया गया कि कई मामलों का निपटारा (Settlement) पंचायतों द्वारा भी किया जा सकता है। इसमें यह बताया गया कि ग्राम पंचायत उन अभियुक्तों (Accused ) के खिलाफ सुनवाई कर सकती है, जिन्होंने कथित तौर पर हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियमों की अधिसूची में दर्शाए गए अपराध किए हैं। इसमें भारतीय दंड संहिता अधिनियम 1880, पशु अत्याचार अधिनियम, हिमाचल प्रदेश किशोर अधिनियम (Himachal Pradesh Juvenile Act) इत्यादि शामिल हैं। इसमें यह भी बताया गया कि कुछ सिविल मामलों (Civil Suit) का निपटान करने का भी अधिकार (Right) है। पत्नी-बच्चे जो गुजारा चलाने में असमर्थ हैं, उन्हें पंचायतें 500 रूपए प्रतिमाह गुजारा भत्ता दे सकती हैं। इसके अलावा ग्राम पंचायतें राजस्व मामलों (Revenue cases) में भी सुनवाई कर सकती हैं। जिसमें ग्राम पंचायत के पास आने वाले व्यक्ति को पंचायत या न्यायालय (Court) के पास आने से तीन महीने पहले बेदखल किया गया हो।
यह भी बताया गया कि प्रधान की अनुपस्थिति में उप प्रधान के समक्ष मामले (Petition) दायर किए जा सकते हैं। इसमें तय कोर्ट फीस के भुगतान का भी प्रावधान है। पंचायतों के समक्ष मामलों को मौखिक(Verbal) या लिखित तौर पर भी दायर (filed) किया जा सकता है। जिन पंचायतों की कोई व्यक्तिगत रूचि या परिवार का सदस्य मामलों में संलिप्त (Involved) होगा तो ऐसे में वो खंड पीठ (Bench) के सदस्य नहीं हो सकते, विवाद (Dispute) वाले वार्ड का सदस्य भी इसमें शामिल नहीं हो सकता। पंचायत पक्षकारों को सुनेगी और साक्ष्यों (Evidences) को रिकॉर्ड करेगी। पंचायत प्रक्रिया के मुताबिक गवाहों को समन भी कर सकती है। जिन लोगों को न्यायालय (Court) के समक्ष उपस्थित होने की छूट है, उन्हें पंचायत गवाह के तौर पर नहीं बुला सकती। गवाह को आहार राशि भुगतान का भी प्रावधान है। आपराधिक मामलों (Criminal Cases) में पंचायत 100 रूपए की सीमा तक जुर्माना लगा सकती है। मूल कारावास या जुर्माने (fine) के भुगतान के अभाव में कोई कारावास (Imprisonment) देने की शक्ति नहीं है। आरोपी को 200 रूपए तक का मुआवजा देने का आदेश जारी कर सकती है, यदि उसके खिलाफ शिकायत झूठी पाई जाती है।
वेबिनार में सिविल जज एवं न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी) गीतिका कपिला ने हिस्सा लिया। जबकि प्रश्रों के उत्तर न्यायिक मुख्य दंडाधिकारी एवं अध्यक्ष उप मंडलीय विधिक सेवा समिति प्रताप सिंह ठाकुर ने व्यवस्थित किए।