शिमला, 17 सितंबर : छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों की मनमानी लूट,भारी फीसों पर रोक लगाने, निजी स्कूलों को संचालित करने के लिए कानून लाने व रेगुलेटरी कमीशन बनाने की मांग को लेकर विधानसभा के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया।
इस दौरान एडीएम शिमला के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को पन्द्रह सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया। विक्ट्री टनल पर एकत्रित हुए अभिभावक एक रैली के रूप में विधानसभा चौक पहुंचे। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि प्रदेश के केवल पांच हज़ार कारखानेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए विधानसभा में एक ही दिन में पांच अध्यादेशों को मुहर लगा दी गई जबकि प्रदेश सरकार निजी स्कूलों को संचालित करने व इन से जुड़े सोलह लाख छात्रों व अभिभावकों को प्रभावित करने वाले कानून को जानबूझ कर लटका रही है। इस कानून का प्रस्ताव हिमाचल सरकार के पास एक वर्ष से पड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कार्यरत लगभग तीन हज़ार निजी स्कूलों में मनमानी लूट हो रही है। इन तीन हज़ार निजी स्कूलों में लगभग छः लाख छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जोकि प्रदेश के कुल छात्रों का लगभग पैंतालीस प्रतिशत है। इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों की संख्या दस लाख से ज़्यादा है। इस तरह छात्रों व अभिभावकों की संख्या लगभग सोलह लाख के करीब है। निजी स्कूलों की मनमानी लूट व भारी फीसों से ये सोलह लाख लोग सीधे तौर पर प्रभावित हैं। यह संख्या हिमाचल प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग एक- चौथाई हिस्सा है।
विजेंदर मेहरा ने कहा कि निजी स्कूलों की खुली मनमानी व बेलगाम लूट पर प्रदेश सरकार खामोश है। अभिभावक पिछले दो वर्षों से प्रदेशभर में इन स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया,पाठ्यक्रम व फीसों को संचालित करने के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। इन स्कूलों के संदर्भ में सन 1997 में बना कानून व वर्ष 2003 के नियम सिर्फ सफेद हाथी हैं व वे किसी भी रूप में इन स्कूलों का किसी भी तरह नियमन नहीं करते हैं।
उन्होंने मांग की है कि निजी स्कूलों की मनमानी लूट व भारी फीसों पर रोक लगाई जाए। निजी स्कूलों को संचालित करने के लिए तुरंत कानून बनाया जाए। निजी स्कूलों को संचालित करने के लिए रेगुलेटरी कमीशन बनाया जाए। निजी स्कूलों में टयूशन फीस के अलावा अन्य चार्जेज़ पर रोक लगाई जाए।