नाहन, 15 सितंबर : समूचा देश 2019 में गणतंत्र दिवस (Republic Day) के रंग में रंगा हुआ था। वहीं, चीन की सीमा पर तैनात 24 साल के विनोद कुमार ने लद्दाख (Ladakh) में चीन सीमा पर एक वीर योद्धा (Brave warrior) के तौर पर देश रक्षा में अपने प्राणों की आहूति दे दी। विडंबना देखिए, एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले इस लाल की वीरता को हिमाचल सरकार भुला चुकी है। डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी कोई सुध नहीं ली गई। हाल ही में धारटीधार के लाल प्रशांत ठाकुर के बाद 24 वर्षीय विनोद कुमार की वीरता की दास्तां दोबारा ताजा हुई है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क (MBM NEWS NETWORK) को लगातार ही पाठकों के मैसेज मिल रहे हैं। इसमें 24 साल के लाल की शहादत भुलाने को लेकर हिमाचल सरकार के प्रति गहरा रोष प्रकट किया जा रहा है।
16 जून 1995 को जन्में दिवंगत विनोद कुमार की छोटी बहन ग्रैजुएशन (Graduation) की पढ़ाई पूरी कर रही है। दूसरी बहन स्कूली पढ़ाई कर रही है। लद्दाख के चुशुल सेक्टर (Chushul Sector) में डयूटी के दौरान सैन्य क्षेत्र में कड़ाके की ठंड की वजह से विनोद कुमार का निधन हो गया था। ऐसी परिस्थितियों को भी सेना में बैटल कैजुएलिटी (Battle casualty) करार दिया जाता है। कटाह शीतला पंचायत के शिरूमाईला में बुजुर्ग दादा-दादी के आंसू भी सूख चुके हैं। बता दें कि शहीद की पार्थिव देह भी तीन दिन बाद घर पर पहुंची थी।
पिता प्रेम सिंह जैसे-तैसे खेती-बाड़ी कर थोड़ी बहुत आमदनी जुटाकर न केवल दो बेटियों की पढ़ाई का खर्च उठा रहे हैं, बल्कि घर का गुजर-बसर भी बमुश्किल हो रहा है। उल्लेखनीय है कि 24 साल के विनोद कुमार 2 डोगरा रेजिमेंट (2 Dogra Regiment) में तैनात थे, जिनकी पोस्टिंग (Posting) लेह से भी करीब 300 किलोमीटर आगे एलएसी (LAC) पर थी। कुल मिलाकर बेहद ही शर्मनाक बात ये है कि जयराम सरकार शहीदों को उचित सम्मान व आर्थिक मदद मुहैया करवाने की जिम्मेदारी से पीछे हटती नजर आती है। शहीद प्रशांत ठाकुर के मामले में भी मुख्यमंत्री ने घर पर पहुंचकर शोक संलिप्त परिवार को ढांढस बंधाने का कोई प्रयास नहीं किया।