मंडी 5 सितम्बर : जिला की आर्मी कैंटीन (Army-canteen) प्रदेश की पहली ऐसी आर्मी कैंटीन बन गई है जहां ऑनलाईन बुकिंग (Online booking) करवाने के बाद ही सामान खरीदा जा सकता है। कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग को बरकरार रखने और भीड़ से निजात पाने के उद्देश्य से यह नया प्रयास शुरू किया गया है। सैनिक, पूर्व सैनिक और उनके आश्रित इस नई सुविधा से खासे खुश नजर आ रहे हैं।
जिला से संबंध रखने वाले सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को अब आर्मी कैंटीन से सामान खरीदने के लिए न तो घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ेगा और न ही भीड़ का हिस्सा बनना पड़ेगा। क्योंकि यह कैंटीन प्रदेश की पहली ऐसी आर्मी कैंटीन बन गई है जहां सामान खरीदने के लिए आने वालों को पहले वैबसाईट पर अपना पंजीकरण करवाना होगा और उसके बाद ही उन्हें यहां से सामान खरीदने की अनुमति होगी।
कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) और भीड़ से निजात पाने के उद्देश्य से यह प्रयास शुरू किया गया है। लॉकडाउन के बाद जब कैंटीन को खोलने की मंजूरी मिली तो कैंटीन के प्रबंधक मेजर खेम सिंह ठाकुर ने दूरभाष के माध्यम से बुकिंग करवाने का कार्य शुरू किया, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। लेकिन जिला भर में कार्ड धारकों की संख्या 7500 के पार होने के कारण दूरभाष पर बुकिंग करना मुश्किल होता गया। ऐसे में जिलाधीश मंडी ऋग्वेद ठाकुर के साथ चर्चा करने के बाद आईआईटी की मदद से एक वैबलिंक बनाया गया। इस वैबलिंक पर कार्ड धारक एक मिनट से भी कम समय में अपना पंजीकरण करवा सकता है। यह कार्ड धारक खुद तय करेगा कि उसने किस तारीख को किस समय पर आकर कैंटीन से सामान खरीदना है। कैंटीन के प्रबंधक मेजर खेम सिंह ठाकुर ने बताया कि वैबलिंक पर आधे-आधे घंटे के स्लॉट बनाए गए हैं और हर आधे घंटे के अंतराल में सिर्फ 20 कार्ड धारकों को ही बुलाया जा रहा है।
वहीं जिला के सैनिक और पूर्व सैनिक इस नई व्यवस्था से खासे खुश नजर आ रहे हैं। पूर्व सैनिक ललित गुलेरिया और रूप सिंह ने बताया कि अब वह अपनी सुविधा के अनुसार समय का चयन करके कैंटीन में सामान खरीदने आ रहे हैं। कैंटीन में न तो भीड़ है और न ही अन्य प्रकार की परेशानी। आसानी से सामान खरीदकर इस सुविधा का लाभ उठा रहे हैं।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में किसी भी आर्मी कैंटीन में यह सुविधा नहीं है। यह शुरूआत मंडी जिला से हुई है। बताया जा रहा है कि प्रदेश की बाकी कैंटीनों में भी इसे शुरू करने पर विचार चल रहा है। वहीं मंडी के कैंटीन प्रबंधक अब इस वैबलिंक की मोबाईल ऐप बनाने में जुट गए हैं ताकि कार्ड धारकों को और अधिक सुविधा दी जा सके।