नाहन, 04 सितंबर : अब तक यही कहा जा रहा है कि गंभीर बीमारियों (Serious illnesses) से जूझ रहे लोगों के लिए ही कोरोना बड़ा खतरा है, मगर रामकुंडी क्षेत्र के रहने वाले 47 वर्षीय नरेंद्र तोमर ने इसे भी गलत साबित कर दिखाया है। प्रमाणित किया है कि जंग के साथ-साथ जीवन की ललक (Ardor of life) होनी चाहिए। बड़ी से बड़ी आपदा (Disaster) को भी टाला जा सकता है।
मई 2019 में मेजर सर्जरी में 47 साल के नरेंद्र तोमर की एक किडनी रिमूव कर दी गई। इसके बाद किडनी के कैंसर (Kidney cancer) से जूझ रहे नरेंद्र को कीमो थैरेपी (Chemo therapy) से भी जूझना पड़ा। अब भी पीजीआई (Post Graduate Institute Chandigarh) से इलाज जारी है। इसी बीच परिवार के अन्य सदस्यों के साथ नरेंद्र की भी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव (Tested Positive) आ गई। किडनी के कैंसर (Kidney Cancer) को मात देने वाले नरेंद्र के सामने कोरोना की जंग जीतने की भी चुनौती थी। इसका भी डटकर मुकाबला किया। नतीजा यह है कि अब उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ गई है। इसके साथ ही घर वापसी भी हो चुकी है। बता दें कि जब नरेंद्र को सराहां कोविड हेल्थ सैंटर (Sarhan Covid Health Center) में दाखिल किया गया था, तब चिकित्सकों को भी चिंता हुई थी। लेकिन इन चिंताओं (Trouble) को अपने हौंसले से हराकर नरेंद्र ने साबित कर दिया है कि मुश्किलों से कह दो मेरा हौंसला बड़ा है।
संभव हैं कि ऐसे कोरोना योद्धा (Corona warrior) ओर भी हो सकते हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर पर पहली बार ऐसा कोई मामला सामने आया है, जब गंभीर व जटिल बीमारी से पीडि़त (Victim) व्यक्ति ने केवल व केवल अपने हौंसले(Courage) से ही कोरोना को हराने में सफलता पाई है। कुल मिलाकर यह भी तय है कि जब हौंसला बुलंद हो तो कुदरत (Nature) भी आपका साथ देने उतर आती है। उल्लेखनीय है कि लगभग 15 दिन पहले 47 वर्षीय नरेंद्र तोमर की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसके बाद से एक योद्धा (warrior) के तौर पर कोरोना से लड़ रहे थे।