नाहन, 03 सितंबर : कहते हैं, हौंसलों में जान हो तो मंजिल मिल ही जाती है। यहां तक की कायनात भी आपके साथ आ खड़ी होती है। यही 25 साल की जैनब अली (Zainab Ali) ने साबित कर दिखाया है। करीब 6 साल पहले जैनब ने पंजाब के लुधियाना स्थित गुरू नानक देव मेडिकल व होम्योपेथिक कॉलेज (Guru Nanak Dev Medical and Homeopathic College) में दाखिला लिया था। साढ़े 5 साल की डिग्री को अभी कुछ ही साल हुए थे कि अचानक आंखों की रोशनी धुंधली होने लगी। परिवार ने एक बार यह फैसला ले लिया था कि बेटी को पढ़ाई छुड़वा कर घर ले आएंगे। मगर जैनब थी कि हर हाल में पढ़ाई को जारी रखना चाहती थी। परिवार की लाडली बेटी की जिद के आगे कायनात ने भी साथ देना शुरू कर दिया। इलाज हुआ तो कुछ समय बाद ही आंखों की रोशनी पूरी तरह से लौट आई।
डॉ. जैनब का यह भी कहना था कि पढ़ाई के दौरान एक वक्त ऐसा भी आ गया था, जब वो क्लास में मौजूद होती थी, लेकिन बोर्ड साफ नहीं दिखता था। लेकिन हौंसला नहीं टूटने दिया। स्टाफ के साथ-साथ सहपाठियों ने भी पूरा सहयोग किया। माता-पिता ने हर कदम पर हौंसला दिया। इसी साल जैनब ने बैचलर ऑफ होम्योपेथी इन मेडिकल व सर्जरी (Bachelor of Homeopathy in Medical and Surgery) में अपनी डिग्री को पूरा किया है। जैनब के संस्थान ने न केवल उपचार में मदद की, बल्कि हर कदम पर मदद के भी हाथ बढ़ाए, क्योंकि हर कोई इस बात को बखूबी समझ चुका था कि वो पढ़ाई करने की जिद पर अड़ी हुई है। अब डिग्री पूरी होने के बाद जैनब के सामने एक सवाल था कि क्या वो सरकारी नौकरी की कोशिश शुरू करे या फिर समाज के बीच में ही रह कर होम्योपेथी की आधुनिक पद्यति से कुछ सेवा करें। इसी के मद्देनजर डॉ. जैनब अली ने शहर के शाही महल के समीप न्यू विजन होम्यो केयर क्लीनिक (New Vision Homeo Care Clinic) की शुरूआत की है।
खास बात यह है कि डॉ. जैनब ने यह फैसला लिया है कि गरीबों खासकर बीपीएल की हर कदम पर इम्दाद करेंगी। आवश्यकता पडऩे पर निशुल्क ही उपचार देंगी। उधर एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में डॉ. जैनब अली ने कहा कि होम्योपेथी की आधुनिक पद्यति में त्चचा रोग (Skin disease) व मानसिक असंतुलन व तनाव (Mental imbalance and stress) इत्यादि के बेहतरीन उपचार उपलब्ध हैं। इसके कोई साइड इफेक्ट (Side Effect) भी नहीं हैं। उनका कहना था कि होम्योपेथिक उपचार से नशे की लत (Drug addiction) को भी छोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि वो अपने क्लीनिक में जर्मनी की होम्योपेथिक दवाओं का इस्तेमाल कर रही हैं।
होम्योपेथी में माहिर शहर के वरिष्ठ डॉक्टर तो इस पद्धति से उपचार कर रहे हैं, लेकिन युवाओं में पिछले एक लंबे दशक में डॉ. जैनब ही पहली युवा होंगी, जिन्होंने इस तरह की सोच को आगे बढ़ाया है। दीगर यह भी है कि पुराने लोगों की अगली पीढ़ी इस प्रोफेशन को नहीं अपना रही। ऐसे में डॉ. जैनब की अपनी जन्मस्थली में इस तरह की सोच काबिल-ए-तारीफ है।