नाहन, 31 अगस्त: अक्सर ही आर्थिक रूप से कमजोर तबके को स्वास्थ्य संस्थानों में एंबुलेंस सुविधा(Ambulance) को हासिल करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि 108 एंबुलेंस(108 Ambulance) सेवा उपलब्ध है, लेकिन बावजूद इसके कई मर्तबा गरीबों(Weaker people) को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
पावंटा साहिब के पीपलीवाला के रहने वाले एक परिवार ने 18 साल के बेटे की स्मृति में” वैभव एंबुलेंस सेवा(Vaibhav Ambulance service) शुरू” की है, इसके रखरखाव के लिए एक संस्था भी बनाई गई है। 30 जून को वैभव का निधन करंट(Electrocution) लगने से हो गया था, इसके बाद परिवार ने वैभव के 18 वें जन्म दिवस पर उसकी स्मृति(Memory) में जनसेवा के मकसद से इस एंबुलेंस सेवा को शुरू किया है। हिमाचल के शिक्षा विभाग(Education department himachal) में अधीक्षक के पद पर कार्यरत चिंतामणि का कहना है कि पीजीआई(PGI Chandigarh), जगाधरी व यमुनानगर(Yamuna Nagar) जाने के लिए केवल डीजल का खर्च की रोगी के तीमारदारों को वहन करना होगा।
उनका कहना था कि अगर यह भी संभव ना हो तो वह खुद ही खर्च भी उठाएंगे। इसमें कोई दो राय नहीं है कि ऐसे काफी कम लोग होते हैं, जो समाज की भलाई के लिए सोचते हैं। अगर अप्पर मिडल श्रेणी(Upper middle class) के लोग भी ऐसी सोच रखेंगे तो लाजमी तौर पर समाज में कोई खाने को मोहताज नहीं होगा, साथ ही उपचार में भी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। निश्चित तौर पर शिक्षा विभाग के अधीक्षक(Superintendent) चिंतामणि से उन लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए जो पूंजीपति होने के बावजूद केवल अपने लिए ही जीते हैं। इस बात को भूल जाते हैं कि एक दिन दुनिया को सब ने ही अलविदा कहना है। कुल मिलाकर परिवार(family) की इस सोच को सलाम किया जाना चाहिए।